पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने मजीठिया की जमानत याचिका खारिज की
मजीठिया की जमानत याचिका पर अदालत का निर्णय
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने गुरुवार को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। अतिरिक्त महाधिवक्ता फेरी सोफत ने बताया कि मजीठिया को अवैध धन के लेन-देन के मामले में गिरफ्तार किया गया था, और इसी आधार पर अदालत ने उनकी याचिका को अस्वीकार कर दिया। मजीठिया ने लंबी हिरासत का हवाला देते हुए जमानत की मांग की थी और इसे राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम बताया।
अवैध धन हस्तांतरण की जांच
फेरी सोफत ने बताया कि मजीठिया को 25 जून को विभिन्न कंपनियों के माध्यम से अवैध धन हस्तांतरण की एसआईटी रिपोर्ट के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। मजीठिया का तर्क था कि उनकी हिरासत और कार्यवाही को जानबूझकर लंबा खींचा जा रहा है, जो राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है। अदालत ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया। मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले में कई फर्जी कंपनियों का नाम सामने आया है, जिनमें साइप्रस से धन का हस्तांतरण किया गया था।
भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी
पंजाब सतर्कता ब्यूरो ने 25 जून को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एक मामले में मजीठिया को अमृतसर स्थित उनके निवास से गिरफ्तार किया। उन्हें अगले दिन मोहाली लाया गया, जहां अदालत ने उन्हें सतर्कता ब्यूरो की हिरासत में भेज दिया। 8 जुलाई को उनकी प्रारंभिक जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अभियोजक ने कहा कि आवेदन में कुछ त्रुटियाँ हैं, जिसके बाद अदालत ने निर्देश दिया कि इसे फिर से दायर किया जाए। मजीठिया की गिरफ्तारी के बाद, शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत एस चीमा ने पंजाब सरकार द्वारा लागू सुरक्षा उपायों की आलोचना की और इसे आपातकाल से जोड़ा।
