पंचक के दौरान शुभ और वर्जित कार्य: जानें क्या करें और क्या न करें

पंचक की अवधि 3 से 8 अक्टूबर तक है, जिसमें किए गए कार्यों का प्रभाव पांच गुना बढ़ जाता है। इस दौरान कुछ कार्य शुभ माने जाते हैं, जैसे यात्रा, वाहन खरीदना और पूजा-पाठ। वहीं, विवाह और नए वाहन खरीदने जैसे कार्य वर्जित हैं। जानें पंचक में क्या करें और क्या न करें, ताकि आप धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सही निर्णय ले सकें।
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पंचक के महत्व और समय

इस महीने पंचक की अवधि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 8 अक्टूबर तक चलेगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचक में किए गए कार्यों का प्रभाव सामान्य से पांच गुना अधिक होता है। इसलिए, इस समय किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को करने से पहले पंडित या ज्योतिषी से सलाह लेना आवश्यक है। पंचक के दौरान विभिन्न नक्षत्रों का शुभ-अशुभ प्रभाव होता है। जबकि कुछ कार्यों को इस दौरान वर्जित माना गया है, कुछ ऐसे कार्य भी हैं जिन्हें बिना किसी परेशानी के किया जा सकता है।


पंचक में शुभ कार्य

पंचक के दौरान यात्रा करना, वाहन खरीदना, मशीनरी से संबंधित कार्य करना, गृह प्रवेश, बीज बोना, शांति पूजन, कपड़े और गहने खरीदना जैसे कार्य शुभ माने जाते हैं। यदि पंचक रविवार को हो, तो उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के साथ सर्वार्थसिद्धि योग बनता है, जो महत्वपूर्ण कार्यों के लिए लाभकारी होता है।


पंचक में कौन-कौन से कार्य शुभ होते हैं?

ज्योतिष के अनुसार, पंचक में दैनिक पूजा-पाठ, मंत्र जाप और व्रत-उपवास किए जा सकते हैं। राज पंचक को विशेष रूप से शुभ माना जाता है, जिसमें भूमि पूजन, वाहन खरीदना, गहने खरीदना और वृक्षारोपण जैसे कार्य किए जा सकते हैं।


दैनिक पूजा-पाठ: आप अपनी सामान्य देवी-देवताओं की पूजा, आरती और मंत्र जाप पंचक के दौरान भी कर सकते हैं।


व्रत और उत्सव: मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत और एकादशी जैसे व्रत रखने पर पंचक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, इसलिए इन्हें किया जा सकता है।


राज पंचक में शुभ कार्य: यदि पंचक सोमवार से शुरू होता है, तो भूमि पूजन, वाहन खरीदना, सोने के गहने खरीदना और वृक्षारोपण जैसे कार्य शुभ माने जाते हैं।


धार्मिक अनुष्ठान: यदि कोई विशेष अनुष्ठान करना हो, जैसे सत्यनारायण कथा, तो किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेनी चाहिए।


दान-पुण्य: पंचक के दौरान अन्न और धन का दान मंदिर और गरीबों में किया जा सकता है।


स्नान: पंचक काल में किसी पवित्र नदी में स्नान करना और सूर्य देव को अर्घ्य देना शुभ होता है।


तुलसी में जल: पंचक में रोजाना तुलसी में जल चढ़ा सकते हैं, सिवाय एकादशी और रविवार के।


पंचक का प्रकार: बुधवार और बृहस्पतिवार को आने वाले पंचक दोषरहित होते हैं।


शुभ कार्य करने के लिए उपाय: यदि कोई कार्य करना आवश्यक हो, जैसे लकड़ी खरीदना, तो गायत्री माता के नाम का हवन कराएं।


पंचक में क्या-क्या वर्जित है?

पंचक के दौरान विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, नया वाहन या सोना-चांदी खरीदना, दक्षिण दिशा की यात्रा, घर की छत ढलवाना और लकड़ी का सामान बनवाने या इकट्ठा करने जैसे कार्य वर्जित माने गए हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इन कार्यों को करने से धनहानि, घर में क्लेश और अन्य अनिष्ट हो सकता है। इसके अलावा, पंचक में नया कारोबार या निवेश करने और दाह संस्कार से पहले विशेष अनुष्ठान करने की भी मनाही है।