न्यूयॉर्क: कैसे बनता है दुनिया का सबसे अमीर शहर?
जोहरान ममदानी की ऐतिहासिक जीत
भारतीय मूल के जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क शहर के मेयर का चुनाव जीतकर अमेरिकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया है। यह जीत खासतौर पर इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ममदानी को हराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान चेतावनी दी थी कि यदि ममदानी जीतते हैं, तो न्यूयॉर्क को मिलने वाला फंड रोक दिया जाएगा। अब, जब न्यूयॉर्क की 85 लाख की आबादी ने ममदानी को चुना है, तो सवाल उठता है कि क्या ट्रंप की धमकी का कोई असर होगा?
ट्रंप की धमकी का सच
यह समझना आवश्यक है कि न्यूयॉर्क शहर का संचालन ट्रंप के धन पर निर्भर नहीं है। वास्तव में, न्यूयॉर्क का बजट मुख्य रूप से उसके नागरिकों द्वारा दिए गए टैक्स पर आधारित है। ट्रंप प्रशासन ने न्यूयॉर्क को मिलने वाली संघीय सहायता में कटौती करने के कई प्रयास किए हैं। उदाहरण के लिए, 2024 में उनके प्रशासन ने शहर के बुनियादी ढांचे के लिए 18 बिलियन डॉलर की फंडिंग रोकने की कोशिश की थी।
न्यूयॉर्क का खजाना कैसे भरता है?
अगर न्यूयॉर्क ट्रंप के पैसे पर निर्भर नहीं है, तो इसके पास धन कहां से आता है? इसका उत्तर है न्यूयॉर्क के निवासी। न्यूयॉर्क में टैक्स प्रणाली भारत से भिन्न है। यहां फेडरल, स्टेट और सिटी इनकम टैक्स लिया जाता है, जो शहर के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा बनाता है।
- प्रॉपर्टी टैक्स: यह न्यूयॉर्क के खजाने का सबसे बड़ा स्रोत है, जो लगभग 35 बिलियन डॉलर का योगदान देता है।
- व्यक्तिगत आयकर: यह दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है, जिससे शहर को लगभग 18.4 बिलियन डॉलर मिलते हैं।
- सेल्स टैक्स: शहर में खरीदारी पर 8.875% का सेल्स टैक्स लगाया जाता है।
गैर-कर आमदनी
टैक्स के अलावा, न्यूयॉर्क कई अन्य तरीकों से भी धन अर्जित करता है।
- सेवाओं के शुल्क: जैसे पानी और सीवर सेवाओं के बिल।
- जुर्माने: पार्किंग टिकट और ट्रैफिक उल्लंघन पर लगने वाले जुर्माने।
- लाइसेंस और परमिट: व्यवसाय चलाने या निर्माण कार्य के लिए फीस।
- ब्याज और किराया: शहर की संपत्तियों से मिलने वाला किराया और ब्याज।
न्यूयॉर्क का 'हाई-टैक्स, हाई-सर्विस' मॉडल
न्यूयॉर्क के निवासी भारी टैक्स चुकाते हैं, लेकिन इसके बदले उन्हें बेहतरीन सार्वजनिक सेवाएं मिलती हैं। शहर का अधिकांश टैक्स स्कूलों, पुलिस विभाग, और फायर डिपार्टमेंट पर खर्च होता है। इसके अलावा, 24 घंटे चलने वाली मेट्रो, सफाई विभाग, सार्वजनिक अस्पताल, पार्क, और बेघर लोगों के लिए आश्रय गृह भी इसी टैक्स से चलते हैं।
