न्यूज़ीलैंड में सिख धार्मिक जुलूस पर दक्षिणपंथी समूह का विरोध

दक्षिण ऑकलैंड में एक सिख धार्मिक जुलूस को अचानक रोक दिया गया जब एक दक्षिणपंथी समूह ने जुलूस के मार्ग को अवरुद्ध कर दिया। इस घटना के दौरान सिख समुदाय ने शांति बनाए रखी, जबकि विरोधी समूह ने माओरी हाका का प्रदर्शन किया। आयोजकों ने कहा कि उन्हें प्रशासन से अनुमति मिली थी, और इस व्यवधान ने न्यूजीलैंड में धार्मिक स्वतंत्रता पर बहस छेड़ दी है। सिख समुदाय के नेताओं ने सरकार से सुरक्षा की मांग की है। यह घटना नस्लवादी टिप्पणियों और आप्रवासी विरोधी भावनाओं के बढ़ने के बीच आई है।
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सिख धार्मिक जुलूस में बाधा

शनिवार को दक्षिण ऑकलैंड में एक सिख धार्मिक जुलूस को अचानक रोकना पड़ा। मानेउरेवा क्षेत्र में नानकसर सिख गुरुद्वारे द्वारा आयोजित नगर कीर्तन उस समय बाधित हुआ जब एक दक्षिणपंथी समूह ने जुलूस के मार्ग को अवरुद्ध कर दिया। इस दौरान सिख समुदाय के लोग, जिनमें निहंग भी शामिल थे, पूरी तरह शांत बने रहे और किसी भी उकसावे का जवाब नहीं दिया।


दक्षिणपंथी समूह का प्रदर्शन

“ट्रू पैट्रियट्स ऑफ न्यूज़ीलैंड” नामक समूह के सदस्य ग्रेट साउथ रोड पर खड़े हो गए और पारंपरिक माओरी हाका करते हुए जुलूस को आगे बढ़ने से रोक दिया। यह समूह पेंटेकोस्टल नेता ब्रायन तमाकी और डेस्टिनी चर्च से जुड़ा हुआ है। मौके पर पुलिस मौजूद थी और टकराव को टालने के लिए दोनों पक्षों के बीच खड़ी रही।


हाका का सांस्कृतिक महत्व

हाका माओरी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जिसे गर्व, पहचान और एकता से जोड़ा जाता है। ऐतिहासिक रूप से, इसे युद्ध से पहले शक्ति प्रदर्शन और विरोधियों को चेतावनी देने के लिए किया जाता रहा है। नवंबर 2024 में, न्यूजीलैंड की संसद में दो सांसदों ने एक विधेयक के विरोध में हाका किया था, जिससे यह नृत्य फिर से सुर्खियों में आया।


विरोध के दौरान आपत्तिजनक नारे

हालांकि, इस नगर कीर्तन के विरोध के दौरान हाका के साथ-साथ आपत्तिजनक नारे और बैनर भी देखे गए। वीडियो और तस्वीरों में प्रदर्शनकारी “यह न्यूज़ीलैंड है, भारत नहीं” जैसे संदेशों वाले पोस्टर पकड़े हुए नजर आए। कुछ ने “कीवीज़ फर्स्ट” और “कीप न्यूज़ीलैंड न्यूज़ीलैंड” लिखी टी-शर्ट पहन रखी थीं। इसके अलावा, धार्मिक नारे भी लगाए गए, जिनमें “वन ट्रू गॉड” और “जीसस, जीसस” शामिल हैं।


आयोजकों की प्रतिक्रिया

नगर कीर्तन के आयोजकों ने सोशल मीडिया पर कहा है कि इस आयोजन के लिए स्थानीय प्रशासन से पूरी अनुमति ली गई थी और इस तरह का व्यवधान पूरी तरह अप्रत्याशित और चिंताजनक है। इस घटना ने न्यूजीलैंड में धार्मिक स्वतंत्रता और सार्वजनिक व्यवस्था को लेकर नई बहस छेड़ दी है।


सिख समुदाय की सुरक्षा की मांग

इस बीच, अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गरगज ने एक वीडियो संदेश में कहा कि यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण और चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय लंबे समय से कानूनी रूप से न्यूजीलैंड में रह रहा है और देश के विकास में योगदान दे रहा है। उन्होंने न्यूजीलैंड सरकार से सिखों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने की मांग की है।


नस्लवादी टिप्पणियों की बढ़ती संख्या

सोशल मीडिया पर इस घटना के बाद नस्लवादी टिप्पणियां भी सामने आई हैं। कुछ खातों से सिख समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक और घृणास्पद भाषा का इस्तेमाल किया गया है। न्यूजीलैंड में नस्लवाद और आप्रवासी विरोधी भावनाओं में हाल के वर्षों में बढ़ोतरी देखी गई है। यह घटना इस साल की तीसरी ऐसी घटना बताई जा रही है, जिसमें धार्मिक या सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया है।


सरकार और पुलिस की भूमिका पर सवाल

इससे पहले जून महीने में भी ब्रायन तमाकी के नेतृत्व में हुए एक प्रदर्शन के दौरान गैर-ईसाई धर्मों के झंडों का अपमान किया गया था। इन घटनाओं के बाद सरकार और पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं, जबकि जांच और निगरानी की मांग तेज होती जा रही है।