न्यूक्लियर एनर्जी बिल 2025: छात्रों के लिए नए अवसरों का द्वार
न्यूक्लियर एनर्जी बिल 2025 का महत्व
इस बिल को लोकसभा ने स्वीकृति दे दी है.
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Nuclear Energy Bill 2025: बुधवार को लोकसभा ने सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया बिल (Shanti) 2025 को मंजूरी दी। इसे न्यूक्लियर एनर्जी बिल के नाम से भी जाना जाता है। इस विधेयक के माध्यम से न्यूक्लियर एनर्जी क्षेत्र में निजी कंपनियों को प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। पहले यह क्षेत्र केवल सरकारी नियंत्रण में था, लेकिन अब प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी को भी मान्यता मिलेगी। आइए जानते हैं कि इस बिल का न्यूक्लियर साइंस में करियर बनाने वाले छात्रों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
न्यूक्लियर ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भूमिका
परमाणु ऊर्जा विभाग के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह बिल न्यूक्लियर एनर्जी उद्योग में निजी कंपनियों को शामिल होने की अनुमति देता है, जो पहले सरकारी उद्यमों के लिए आरक्षित था। उन्होंने यह भी कहा कि यह विधेयक परमाणु क्षति के लिए एक व्यावहारिक नागरिक दायित्व व्यवस्था प्रदान करता है और परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड को वैधानिक दर्जा देता है।
भारत में न्यूक्लियर साइंस की पढ़ाई के संस्थान
देश में कहां-कहां होती है न्यूक्लियर साइंस की पढ़ाई?
भारत में न्यूक्लियर साइंस की पढ़ाई के लिए प्रमुख संस्थान हैं: साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स (कोलकाता), भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (मुंबई), टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (मुंबई), इंदिरा गांधी सेंटर फॉर एटॉमिक रिसर्च (कलपक्कम), हॉमी भाभा नेशनल इंस्टीट्यूट (HBNI), आईआईटी और NISER। ये संस्थान रिसर्च और ट्रेनिंग के लिए प्रसिद्ध हैं।
न्यूक्लियर साइंस के पाठ्यक्रम
न्यूक्लियर साइंस के इन कोर्स की होती है पढ़ाई
भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में न्यूक्लियर साइंस/ न्यूक्लियर इंजीनियरिंग के लिए एमएससी और एमटेक कोर्स उपलब्ध हैं। IIT बॉम्बे में एनर्जी साइंस / न्यूक्लियर इंजीनियरिंग, IIT मद्रास में न्यूक्लियर इंजीनियरिंग, IIT कानपुर में न्यूक्लियर इंजीनियरिंग और IIT खड़गपुर में न्यूक्लियर साइंस एंड इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराई जाती है।
बिल से छात्रों को लाभ
न्यूक्लियर एनर्जी बिल से स्टूडेंट्स को क्या होगा फायदा?
शांति बिल के तहत न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में प्राइवेट कंपनियों की एंट्री से रिसर्च और विकास को बढ़ावा मिलेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भविष्य में न्यूक्लियर साइंस की पढ़ाई के लिए कई प्राइवेट संस्थान भी स्थापित हो सकते हैं, जिससे छात्रों को अधिक अवसर मिलेंगे। इसके अलावा, निजी कंपनियों की भागीदारी से रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे, जो पहले केवल सरकारी कंपनियों तक सीमित थे।
रिसर्च में वृद्धि
बढ़ेगी रिसर्च
नए बिल के लागू होने से न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में रिसर्च में वृद्धि होगी, जिससे नए पाठ्यक्रमों की शुरुआत की संभावना है। स्किल बेस्ड कोर्स भी शुरू हो सकते हैं, जिससे इस क्षेत्र में नौकरी की संभावनाएं तेजी से बढ़ेंगी।
