नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटाया गया, 19 प्रदर्शनकारियों की मौत

नेपाल में हाल ही में हुए प्रदर्शनों के दौरान 19 लोगों की मौत के बाद सरकार ने सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने हिंसा के लिए 'घुसपैठियों' को जिम्मेदार ठहराया है। इस घटना के बाद, कई अंतरराष्ट्रीय दूतावासों ने गहरा दुख व्यक्त किया है और मानवाधिकारों के संरक्षण की अपील की है। जानें इस घटनाक्रम के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
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नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटाया गया, 19 प्रदर्शनकारियों की मौत

नेपाल सरकार का निर्णय

नेपाल सरकार ने सोमवार को भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 19 लोगों की मौत के बाद सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। यह प्रतिबंध 4 सितंबर से लागू था, जब सरकार ने आरोप लगाया था कि सोशल मीडिया कंपनियां नेपाल में पंजीकरण आवश्यकताओं का पालन नहीं कर रही थीं।


प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया

सोमवार की रात प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने एक बयान जारी कर बताया कि सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटा लिया गया है। उन्होंने इस हिंसा के लिए 'घुसपैठियों' को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वह इस्तीफा नहीं देंगे, जैसा कि संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरंग ने पुष्टि की।


सोशल मीडिया की बहाली

सरकार के निर्णय के बाद, मंगलवार की मध्यरात्रि से फेसबुक, यूट्यूब और एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फिर से उपलब्ध हो गए। हालांकि, सरकार ने इस प्रतिबंध को फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिए उचित ठहराया, जबकि मानवाधिकार समूहों ने इसे सेंसरशिप का एक उपकरण बताया।


हिंसा की घटनाएँ

काठमांडू में 19 लोगों की मौत हुई, जबकि पूर्वी शहर इटहरी में दो अन्य की जान गई। जनरेशन जेड नेपाल के बैनर तले हुए इस प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों ने गोलीबारी की। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं और आंसू गैस का इस्तेमाल किया।


विदेशी दूतावासों की प्रतिक्रिया

ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, फ्रांस, जापान, दक्षिण कोरिया, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका के दूतावासों ने एक संयुक्त बयान जारी कर इस हिंसा पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।


संयुक्त राष्ट्र की अपील

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने भी इस घटना की स्वतंत्र और पारदर्शी जांच की मांग की है। उन्होंने सुरक्षा बलों द्वारा अत्यधिक बल के उपयोग के आरोपों पर चिंता व्यक्त की और शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों का सम्मान करने की अपील की।