नेपाल में राजनीतिक संकट: क्या यह आंतरिक अस्थिरता या वैश्विक शक्तियों का संघर्ष है?

नेपाल में बढ़ता राजनीतिक संकट
पिछले तीन वर्षों में भारत के पड़ोसी देशों में राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिली है। श्रीलंका की आर्थिक तबाही, बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन, और पाकिस्तान में इमरान खान का सत्ता से हटना, अब नेपाल में भी एक नई स्थिति उत्पन्न कर रहा है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन अब एक राष्ट्रीय स्तर पर फैल चुका है, जिसमें 22 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। इस भारी जन दबाव के चलते प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल को अपने पदों से इस्तीफा देना पड़ा।
आंदोलन का विस्तार और उसके परिणाम
नेपाल की वर्तमान स्थिति बांग्लादेश और श्रीलंका की घटनाओं की पुनरावृत्ति प्रतीत होती है, जहां एक छोटे मुद्दे पर शुरू हुआ असंतोष बाद में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़े आंदोलन में बदल गया। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ लोगों का गुस्सा अब व्यापक भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी के खिलाफ हो गया है। सरकार द्वारा प्रतिबंध हटाने के बावजूद, प्रदर्शन जारी है और राजधानी की सड़कों पर 'केपी चोर, देश छोड़' जैसे नारे गूंज रहे हैं।
विदेशी प्रभाव और नेपाल की स्थिति
नेपाल और चीन के बीच संबंधों में मजबूती आई है, खासकर प्रधानमंत्री ओली के कार्यकाल के दौरान। ओली ने जुलाई 2024 में प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा चीन की की, जबकि आमतौर पर नेपाल के नेता पहले भारत जाते हैं। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के तहत एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे नेपाल को 41 मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता मिली।
अमेरिका की चिंता और नेपाल का भविष्य
नेपाल की चीन की ओर झुकाव अमेरिका के लिए चिंता का विषय बन गया है। दक्षिण एशिया में बेल्ट एंड रोड की बढ़ती प्रभावशीलता ने पहले ही श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसा दिया है। अमेरिका ने इस साल 'मिलेनियम चैलेंज नेपाल कॉम्पैक्ट' को फिर से शुरू किया, जो ऊर्जा और सड़क विकास के लिए 500 मिलियन डॉलर की सहायता प्रदान करता है। यह अमेरिकी पहल बेल्ट एंड रोड के सीधे विरोध में है, जिससे नेपाल की आंतरिक राजनीति और जटिल हो गई है।
नेपाल का राजनीतिक संकट और वैश्विक शक्तियों का संघर्ष
नेपाल आज एक गंभीर राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या यह पूरी तरह से आंतरिक अस्थिरता है या वैश्विक शक्तियों के बीच संघर्ष का एक नया चेहरा? नेताओं के इस्तीफे, विदेशी प्रभावों का टकराव, और जनता का गुस्सा, यह स्पष्ट करता है कि नेपाल एक संवेदनशील मोड़ पर है।