नींद की कमी से हृदय स्वास्थ्य पर पड़ता है गंभीर प्रभाव: अध्ययन

हालिया अध्ययन से पता चला है कि नींद की कमी हृदय स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालती है। वैज्ञानिकों ने 20 से 35 वर्ष के स्वस्थ पुरुषों पर किए गए शोध में पाया कि केवल पांच घंटे की नींद से हृदय की धड़कन और रक्तचाप में वृद्धि होती है। सप्ताहांत में खोई हुई नींद की भरपाई करना भी पर्याप्त नहीं है। जानें इस अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष और नींद के महत्व के बारे में।
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नींद की कमी से हृदय स्वास्थ्य पर पड़ता है गंभीर प्रभाव: अध्ययन

नींद और हृदय स्वास्थ्य का संबंध


यदि आप सोचते हैं कि सप्ताह भर की व्यस्तता के बाद वीकेंड पर अधिक सोकर नींद की कमी को पूरा किया जा सकता है, तो यह गलत है। पेन स्टेट के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि हर रात केवल पांच घंटे की नींद से हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हृदय की धड़कन और रक्तचाप, जो स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं, कम नींद लेने से प्रभावित होते हैं। वास्तव में, वीकेंड पर खोई हुई नींद की भरपाई करने का प्रयास इन स्वास्थ्य संकेतकों को सामान्य स्थिति में नहीं ला सकता।


युवाओं में नींद की कमी

बायोबिहेवियरल हेल्थ के एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययन के सह-लेखक ऐनी-मैरी चांग के अनुसार, अमेरिका में केवल 65% युवा नियमित रूप से सात घंटे की नींद ले पाते हैं। डॉ. चांग ने बताया कि यह अध्ययन दर्शाता है कि युवा अवस्था में नींद की कमी हृदय स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकती है। शोधकर्ताओं ने 20 से 35 वर्ष की आयु के 15 स्वस्थ पुरुषों पर 11 दिनों का गहन नींद अध्ययन किया।


नींद का हृदय पर प्रभाव

शोध में प्रतिभागियों को पहले तीन रातों में 10 घंटे सोने के लिए कहा गया। इसके बाद, अगले पांच रातों में उनकी नींद को पांच घंटे तक सीमित किया गया। फिर दो रातों में उन्हें फिर से 10 घंटे सोने की अनुमति दी गई। इस दौरान, शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों की हृदय गति और रक्तचाप को हर दो घंटे में मापा। परिणामस्वरूप, हृदय गति में हर दिन लगभग एक बीट प्रति मिनट की वृद्धि देखी गई, और यह पुनर्प्राप्ति अवधि के अंत तक भी सामान्य स्तर पर नहीं लौटी।


नींद का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

अध्ययन के प्रमुख लेखक डेविड रीचेनबर्गर ने कहा कि सप्ताहांत में आराम करने के बावजूद, प्रतिभागियों की हृदय प्रणाली ठीक नहीं हुई। डॉ. चांग ने बताया कि नींद की कमी से उबरने के लिए लंबी अवधि की नींद की आवश्यकता हो सकती है। शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि नींद केवल एक जैविक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक व्यवहारिक प्रक्रिया भी है, जिस पर हमारा नियंत्रण होता है। नींद का प्रभाव न केवल हृदय स्वास्थ्य पर, बल्कि वजन, मानसिक स्वास्थ्य, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और सामाजिक संबंधों पर भी पड़ता है।