निजुत मोइना योजना: असम में छात्राओं के लिए वित्तीय सहायता का नया अध्याय

असम सरकार की निजुत मोइना योजना ने 3.5 लाख छात्राओं को वित्तीय सहायता प्रदान की है, जिसका उद्देश्य बाल विवाह को रोकना और शिक्षा को बढ़ावा देना है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बताया कि पिछले वर्ष कोई ड्रॉपआउट नहीं हुआ। हालांकि, गुवाहाटी जैसे शहर में जीवन यापन की बढ़ती लागत के बीच, 2,500 रुपये की सहायता क्या पर्याप्त है? छात्राओं की राय जानने पर पता चलता है कि यह योजना उनके लिए एक महत्वपूर्ण सहारा है, लेकिन आर्थिक चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं।
 | 
निजुत मोइना योजना: असम में छात्राओं के लिए वित्तीय सहायता का नया अध्याय

योजना का उद्देश्य और लाभ


असम सरकार की प्रमुख योजना, जो राज्य में छात्राओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए बनाई गई है, ने हाल ही में 3.5 लाख लाभार्थियों को अपने दायरे में लाया है।


इस योजना का उद्देश्य बाल विवाह की घटनाओं को कम करना और छात्राओं की शिक्षा में सुधार करना है, और इसे आने वाले वर्षों में 10 लाख छात्राओं तक विस्तारित करने की योजना है। लाभार्थियों से इसे अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।


मुख्यमंत्री का बयान

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में कहा कि पिछले वर्ष उच्चतर माध्यमिक, स्नातक या स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में छात्राओं का कोई ड्रॉपआउट नहीं हुआ है।


वित्तीय सहायता की राशि

इस योजना के तहत, कक्षा 11, स्नातक (BA/B.Sc./B.Com), स्नातकोत्तर (MA/M.Sc./M.Com/B.Ed) और तकनीकी पाठ्यक्रमों जैसे पॉलिटेक्निक और ITI में नामांकित छात्राओं को मासिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।


कक्षा 11 की छात्राओं को 1,000 रुपये प्रति माह, पहले वर्ष के स्नातक छात्रों को 1,250 रुपये प्रति माह, और पहले वर्ष के स्नातकोत्तर या B.Ed छात्रों को 2,500 रुपये प्रति माह मिलते हैं।


छात्राओं की चुनौतियाँ

निजुत मोइना योजना: असम में छात्राओं के लिए वित्तीय सहायता का नया अध्याय

CM सरमा छात्रा को चेक वितरित करते हुए। (Photo:@Habib_M_C/X)


हालांकि, एक सवाल यह है कि गुवाहाटी जैसे बढ़ते शहरी केंद्र में, जहां जीवन यापन की लागत लगातार बढ़ रही है, क्या 2,500 रुपये एक स्नातकोत्तर छात्र के लिए पर्याप्त हैं?


स्नातकोत्तर छात्रों के लिए, जो घर से दूर रहते हैं, शहर में रोज़मर्रा की ज़िंदगी जीना एक कठिन चुनौती बन जाता है।


छात्राओं की राय

निजुत मोइना योजना के लाभार्थियों से बातचीत करने पर पता चला कि यह योजना उनके अध्ययन को आगे बढ़ाने में मदद कर रही है।


‘हर पैसा मायने रखता है’


गुवाहाटी में पढ़ाई करने आई कई युवा महिलाओं के लिए, शहर की बढ़ती लागत उनकी शैक्षणिक यात्रा को प्रभावित करती है।


गौहाटी विश्वविद्यालय की एंथ्रोपोलॉजी की छात्रा मौसुमी बर्मन कहती हैं, "मेरे माता-पिता ने कहा कि यह एक अच्छा कदम है और मुझे आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित किया।"


आर्थिक चुनौतियाँ और उम्मीदें

छात्राओं का कहना है कि 2,500 रुपये से स्नातकोत्तर जीवन का खर्च नहीं चल सकता।


हालांकि, यह भत्ता परिवारों पर दबाव को कम करता है, खासकर उन मध्यम वर्ग और निम्न आय वाले घरों में जहां बेटी की शिक्षा अक्सर दृढ़ संकल्प से चलती है।


मौसुमी ने कहा, "प्राइवेट कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र भी संघर्ष करते हैं। उन्हें भी इस योजना का लाभ मिलना चाहिए।"


निष्कर्ष

निजुत मोइना योजना छात्रों के वित्तीय बोझ को हल्का करती है, जिससे युवा महिलाओं को अध्ययन करने, सांस लेने और आगे बढ़ने का थोड़ा और अवसर मिलता है।


गुवाहाटी में जीवन यापन की लागत बढ़ने के साथ, यह छोटा सा बदलाव कई छात्राओं की शिक्षा को जीवित रखने में मदद कर सकता है।