नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा का महत्व

माता कात्यायनी की पूजा
नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की आराधना की जाती है। चार भुजाओं वाली यह देवी अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करती हैं। इन्हें वरदान देने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। यदि भक्त सच्चे मन से, श्रद्धा और अडिग विश्वास के साथ पूजा करते हैं, तो माता उनकी हर इच्छा को पूरा करती हैं। माता कात्यायनी को केले और उनके उत्पाद बहुत प्रिय हैं, चाहे वह मिठाई हो या खीर। विवाह में बाधा का सामना कर रहे युवक विशेष पूजा कर सकते हैं, जिसमें हल्दी के छह गांठें अर्पित की जाती हैं।

विंध्याधाम के विद्वान् पंडित अनुपम महाराज ने बताया कि नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। माता कात्यायनी पीले वस्त्र धारण करती हैं। जैसे हीरे को गर्म करने पर उसका असली रूप प्रकट होता है, माता का स्वरूप भी वैसा ही है। उनके एक हाथ में तलवार, दूसरे में कमल का फूल है। तीसरा हाथ वरदान मुद्रा में है और चौथा अभय मुद्रा में। माता सिंह पर सवार हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। देवी को पीले फूल भी प्रिय हैं, इसलिए पूजा करते समय पीले फूल अर्पित करना न भूलें।
देवी को प्रिय वस्तुएं
पंडित अनुपम महाराज ने बताया कि देवी कात्यायनी को केले बहुत पसंद हैं। इसलिए, पूजा में केले अर्पित करने चाहिए। यदि आप केले से बेहतर कुछ देना चाहते हैं, तो आप केले और केसर के साथ खीर अर्पित कर सकते हैं। इसमें गुड़ का उपयोग किया जाता है। यह दिन विशेष रूप से उन युवतियों के लिए खास है जो संतान सुख से वंचित हैं। पूजा के साथ मंत्र का जाप करने से सफलता प्राप्त होती है। यदि कोई युवक विवाह में असमर्थ है, तो वह माता कात्यायनी के लिए छह हल्दी के गांठें, पान के पत्ते और एक नारियल अर्पित कर सकता है और छह महीने के भीतर विवाह कर सकता है।
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