नवरात्रि 2025: घटस्थापना में मिट्टी के कलश का महत्व

नवरात्रि 2025 का आगाज़ 22 सितंबर से हो रहा है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाएगी। इस उत्सव की शुरुआत घटस्थापना से होती है, जिसमें मिट्टी के कलश का उपयोग किया जाता है। जानें इस कलश का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व, पवित्रता, सकारात्मक ऊर्जा का संचार, और पारंपरिक महत्व। साथ ही, घटस्थापना की विधि भी जानें, जिससे आप इस नवरात्रि को सही तरीके से मना सकें।
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नवरात्रि 2025: घटस्थापना में मिट्टी के कलश का महत्व

नवरात्रि 2025 का आगाज़

नवरात्रि 2025: घटस्थापना में मिट्टी के कलश का महत्व

नवरात्रि 2025Image Credit source: Getty Images

शारदीय नवरात्रि 2025: इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का आयोजन 22 सितंबर 2025 से शुरू होगा, जो हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस नौ दिवसीय उत्सव में मां दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से होती है, जिसे कलश स्थापना भी कहा जाता है। इस अवसर पर मिट्टी के कलश का उपयोग किया जाता है, जिसका आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। आइए जानते हैं कि घटस्थापना में मिट्टी के कलश का उपयोग क्यों किया जाता है और इसके पीछे के सही कारण क्या हैं.


मिट्टी के कलश का महत्व

धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मिट्टी के कलश का उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है।

पृथ्वी तत्व का प्रतीक: मिट्टी को पृथ्वी तत्व का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार, मानव शरीर पांच तत्वों- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से बना है। घटस्थापना में मिट्टी के कलश का उपयोग करके हम सृष्टि के मूल तत्व का सम्मान करते हैं। यह दर्शाता है कि जीवन मिट्टी से उत्पन्न होता है और अंत में उसी में विलीन हो जाता है।

पवित्रता और शुद्धता: मिट्टी को प्रकृति का सबसे शुद्ध रूप माना जाता है। इसमें किसी भी प्रकार के रासायनिक तत्व नहीं होते। जब मिट्टी के कलश में जल, जौ और अन्य सामग्री रखी जाती है, तो वे शुद्ध और सात्विक बनी रहती हैं। यह पूजा के लिए एक आदर्श वातावरण बनाता है।

सकारात्मक ऊर्जा का संचार: मान्यता है कि मिट्टी से बनी वस्तुएं सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं। जब पूजा स्थल पर मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है, तो यह उस स्थान की नकारात्मक ऊर्जा को सोखकर सकारात्मकता का संचार करता है। इससे घर का वातावरण शुद्ध होता है और देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पारंपरिक महत्व: सदियों से चली आ रही परंपराओं के अनुसार, पूजा-पाठ और अनुष्ठानों में मिट्टी के बर्तनों का ही इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह हमारी संस्कृति और परंपराओं का अभिन्न अंग है। मिट्टी के कलश का उपयोग करके हम अपनी प्राचीन परंपराओं का पालन करते हैं।


घटस्थापना की विधि

सबसे पहले पूजा स्थान को साफ करें और एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। मिट्टी के पात्र में थोड़ी सी मिट्टी डालें और उसमें जौ के बीज फैला दें। इस पर थोड़ा जल छिड़कें। अब मिट्टी के कलश के गले में मौली बांधें और उसमें गंगाजल या शुद्ध जल भरें। कलश में सुपारी, अक्षत, सिक्के और हल्दी डालें। कलश के मुख पर आम के पत्ते लगाएं और उसके ऊपर नारियल रखें। इस कलश को मिट्टी के पात्र के ऊपर स्थापित करें, जिसमें जौ बोए गए हैं।


घटस्थापना का महत्व

घटस्थापना, नवरात्रि पूजा का पहला और सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इसे शुभ मुहूर्त में करना अनिवार्य माना गया है। घटस्थापना के माध्यम से घर में मां दुर्गा का आह्वान किया जाता है, जिससे उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त हो सके। घट को ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है, जिसमें जल, अनाज और अन्य पवित्र वस्तुएं रखकर जीवन और सृष्टि की रचना का सम्मान किया जाता है.