नगरोटा उपचुनाव में बिजली कटने से उमर अब्दुल्ला का असहज पल
नगरोटा विधानसभा उपचुनाव में उमर अब्दुल्ला के भाषण के दौरान बिजली कटने की घटना ने प्रशासनिक विफलता को उजागर किया। यह क्षण न केवल तकनीकी समस्या को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे सत्ता और जनता के बीच का संबंध प्रभावित होता है। उमर अब्दुल्ला ने अपने चुनावी वादे के तहत 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने की योजना का भी उल्लेख किया। इस घटना ने राजनीति में भरोसे की निरंतरता की आवश्यकता को स्पष्ट किया।
| Nov 7, 2025, 18:13 IST
उमर अब्दुल्ला का प्रचार और बिजली कटने की घटना
नगरोटा विधानसभा उपचुनाव के दौरान नेशनल कॉन्फ्रेंस की उम्मीदवार शमीम बेगम के समर्थन में प्रचार करने पहुंचे जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को एक अप्रत्याशित स्थिति का सामना करना पड़ा। उनके भाषण के बीच अचानक बिजली चली गई, जो कि विशेष रूप से चौंकाने वाली थी क्योंकि उमर अब्दुल्ला स्वयं विद्युत मंत्रालय का कार्यभार संभालते हैं। इस दौरान, उन्होंने लगभग तीन मिनट तक माइक चालू होने का इंतजार किया, लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ, तो वह असहज होकर मंच से उतर गए और आयोजकों को फटकार भी लगाई।
राजनीति में कभी-कभी ऐसे क्षण आते हैं जो शब्दों से अधिक प्रतीकात्मक होते हैं। नगरोटा की यह घटना न केवल तकनीकी विफलता को दर्शाती है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की वास्तविकता को भी उजागर करती है। जब मुख्यमंत्री, जो विद्युत विभाग के प्रमुख हैं, अपने भाषण के दौरान बिजली कटने से असहज हो जाते हैं, तो यह जनता को सोचने पर मजबूर करता है कि आम लोगों की स्थिति क्या होगी। यह घटना एक मजाकिया संयोग लग सकती है, लेकिन इसके पीछे शासन की विश्वसनीयता और व्यवस्था की तैयारी पर गंभीर प्रश्न छिपे हैं। चुनावी मंच पर भाषण से अधिक प्रभावशाली दृश्य यह था कि मुख्यमंत्री अपने ही विभाग की विफलता के प्रतीक के रूप में बंद माइक पकड़े हुए खड़े थे। यह सत्ता के ‘कनेक्शन’ और जनता के ‘डिसकनेक्शन’ का एक अद्वितीय उदाहरण था।
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लोकतंत्र में नेता आमतौर पर जनता के बीच वादों की रोशनी फैलाने आते हैं, लेकिन नगरोटा की यह घटना यह दर्शाती है कि शब्दों की चमक तब तक प्रभावी नहीं हो सकती, जब तक व्यवस्था की नींव में स्थिरता की रोशनी न हो। बिजली का जाना एक क्षणिक घटना थी, लेकिन इसने यह सच्चाई उजागर कर दी कि जनसेवा का सबसे बड़ा आधार भरोसे की निरंतरता है। नगरोटा की रैली ने दिखाया कि राजनीति की चमकदार रोशनी के पीछे अंधेरा अब भी मौजूद है। अब यह मुख्यमंत्री और उनके प्रशासन पर निर्भर करता है कि वे इस प्रतीकात्मक अंधेरे को वास्तविक सुधार की रोशनी में कब बदलते हैं।
हालांकि, अब उमर अब्दुल्ला अपने चुनावी वादे को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। उनका वादा 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने का है। उन्होंने कहा कि इसके लिए घरों में मीटर लगाए जाएंगे और जिनके पास मीटर नहीं होगा, उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
