नक्सलवाद के खिलाफ मोदी सरकार की बड़ी सफलता: प्रभावित जिलों की संख्या में कमी

नक्सल मुक्त भारत की ओर एक महत्वपूर्ण कदम

(नक्सली- सांकेतिक फोटो)
मोदी सरकार के नक्सल मुक्त भारत के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि सामने आई है। नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या 6 से घटकर अब केवल 3 रह गई है। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या भी 18 से घटकर 11 हो गई है। इस वर्ष नक्सल विरोधी अभियानों में 312 LWE कैडर को मार गिराया गया है और 836 LWE कैडरों को गिरफ्तार किया गया है।
इस साल 1639 नक्सलियों ने मुख्यधारा में लौटने के लिए आत्मसमर्पण किया। 2013 में, विभिन्न राज्यों में 126 जिलों में नक्सल-संबंधी हिंसा की घटनाएं दर्ज की गई थीं, जो अब मार्च 2025 तक घटकर केवल 18 जिलों तक सीमित रह गई हैं। अब इनमें से केवल 6 सबसे अधिक प्रभावित जिलों की पहचान की गई है।
सबसे अधिक प्रभावित जिले
गृह मंत्रालय ने हाल ही में एक बयान में बताया कि छत्तीसगढ़ में बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर ही वामपंथी उग्रवाद से सबसे अधिक प्रभावित हैं। इसके साथ ही, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या 18 से घटकर 11 हो गई है। सरकार का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करना है।
गृह मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में इस वर्ष नक्सलवाद के खिलाफ की गई कार्रवाइयों ने सभी पिछले रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इन अभियानों में 312 वामपंथी उग्रवादी कैडरों को मारा गया है, 836 नक्सली गिरफ्तार किए गए हैं, और 1639 ने आत्मसमर्पण किया है।
नक्सलवाद का प्रभाव कम होता दिख रहा
मंत्रालय ने आगे कहा कि नक्सलवाद से निपटने में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई है। 2010 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री ने इसे देश की सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती बताया था, लेकिन अब इसका प्रभाव कम होता दिख रहा है। नक्सलियों ने नेपाल के पशुपति से आंध्र प्रदेश के तिरुपति तक एक षड्यंत्र रचा था। 2013 में, विभिन्न राज्यों में 126 जिलों में नक्सली हिंसा की सूचना थी, जो अब मार्च 2025 तक घटकर 18 रह गई है। इनमें से केवल 6 को 'सबसे अधिक प्रभावित जिले' के रूप में चिन्हित किया गया है।