नए इनकम टैक्स बिल 2025: क्या हैं इसके प्रमुख बदलाव?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 11 अगस्त 2025 को लोकसभा में न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया, जिसे तुरंत पास कर दिया गया। इस लेख में, हम जानेंगे कि इस नए बिल में क्या महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं और यह पुराने इनकम टैक्स एक्ट 1961 से किस प्रकार भिन्न है। इसके अलावा, हम यह भी देखेंगे कि प्रवर कमेटी ने क्या सुझाव दिए और नए बिल में सीबीडीटी को क्या शक्तियाँ दी गई हैं।
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नए इनकम टैक्स बिल 2025: क्या हैं इसके प्रमुख बदलाव?

न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 का परिचय

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 11 अगस्त 2025 को लोकसभा में न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया, जिसे केवल 4 मिनट में ही पास कर दिया गया। इस बिल की तैयारी काफी समय से चल रही थी, और बजट 2025 में इसकी चर्चा की गई थी।


बिल का अगला चरण

हालांकि, इसे अब राज्यसभा में भी पास होना आवश्यक है, और इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही यह कानून बनेगा। आइए जानते हैं कि नए इनकम टैक्स बिल में क्या-क्या संशोधन किए गए हैं और यह पुराने इनकम टैक्स एक्ट 1961 से किस प्रकार भिन्न है।


बिल का ड्राफ्ट और सुझाव

केंद्र सरकार ने 8 अगस्त 2025 को न्यू इनकम टैक्स के पुराने ड्राफ्ट को वापस ले लिया। यह वही ड्राफ्ट था, जिसे बजट के दौरान पेश किया गया था। इसके बाद इसे प्रवर कमेटी के पास भेजा गया, जिसने लगभग सभी सुझावों को स्वीकार किया। इस नए बिल का उद्देश्य 1961 से चले आ रहे इनकम टैक्स एक्ट को प्रतिस्थापित करना है।


न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 की विशेषताएँ

प्रवर कमेटी ने चार महीनों के अध्ययन के बाद 285 सुझावों के साथ 4,500 पृष्ठों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके बाद, केंद्र सरकार ने 535 धाराओं और 16 शेड्यूल के साथ नया बिल पेश किया। इस बिल में कानून की भाषा को सरल बनाने पर जोर दिया गया है।


इनकम टैक्स एक्ट 1961 और नए बिल में अंतर

पुराने कानून को प्रतिस्थापित करने के लिए यह नया बिल पेश किया गया है। इसमें मुख्य रूप से कानून की भाषा को सरल बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।



  1. इनकम टैक्स एक्ट, 1961 पिछले 60 वर्षों से भारत के टैक्स सिस्टम का आधार रहा है। इसे कई बार अपडेट किया गया, लेकिन ये बदलाव इसे जटिल बना देते हैं।

  2. न्यू इनकम टैक्स बिल, 2025 इसे एक आधुनिक और सरल प्रणाली से प्रतिस्थापित करना चाहता है। इसमें 536 धाराएँ और 16 शेड्यूल शामिल हैं, और पुराने 'प्रीवियस ईयर' और 'एसेसमेंट ईयर' की जगह 'टैक्स ईयर' का नया टर्म लाया गया है।

  3. यह बिल पुराने और जटिल नियमों को हटाकर चीजों को स्पष्ट करता है और विवादों को कम करता है। इसके साथ ही, सीबीडीटी को डिजिटल अर्थव्यवस्था के अनुसार नियम बनाने की अधिक शक्ति दी गई है।