नई दिल्ली के एनडीएमसी स्कूलों में पारंपरिक शिक्षा का नया अध्याय

नई दिल्ली के एनडीएमसी स्कूलों में एक नई पहल के तहत छात्रों को मंत्रोच्चार, योग और ध्यान के माध्यम से शिक्षा दी जाएगी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक विरासत को आधुनिक शिक्षा में समाहित करना है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा शुरू की गई इस पहल से 28,000 से अधिक छात्रों को लाभ होगा। शिक्षकों को पारंपरिक गुरु-शिष्य प्रणाली के अनुसार शिक्षा देने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
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नई दिल्ली के एनडीएमसी स्कूलों में पारंपरिक शिक्षा का नया अध्याय

पारंपरिक शिक्षा प्रणाली का पुनरुद्धार

नई दिल्ली के एनडीएमसी स्कूलों में छात्र अब मंत्रोच्चार, योग और ध्यान के साथ अपने दिन की शुरुआत करेंगे। वहीं, शिक्षक पारंपरिक गुरु-शिष्य प्रणाली के तहत शिक्षा प्रदान करेंगे। यह पहल, जिसका नाम 'विकास भी, विरासत भी' है, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा शिक्षक दिवस के एक दिन पहले तालकटोरा स्टेडियम में शुरू की गई।


इस कार्यक्रम के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए पंद्रह शिक्षकों को सम्मानित किया गया। 'विकास भी, विरासत भी' का उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक धरोहर को आधुनिक शिक्षा में समाहित करना है, जिससे नई दिल्ली नगरपालिका (एनडीएमसी) के 28,000 से अधिक छात्रों को लाभ होगा।


पाठ्यक्रम के अनुसार, छात्र अब दैनिक प्रार्थना सभा में गायत्री मंत्र, सरस्वती वंदना, गुरु मंत्र और शांति पाठ जैसे संस्कृत मंत्रों का पाठ करेंगे। इसके साथ ही, स्कूल की समय-सारणी में योग और ध्यान को भी शामिल किया जाएगा। यह पाठ्यक्रम गुरु-शिष्य परंपरा को पुनर्जीवित करता है और शिक्षकों के प्रति सम्मान और सहपाठियों के बीच मार्गदर्शन को बढ़ावा देता है।