नई तकनीक से लंग कैंसर की पहचान में मिलेगी मदद: ब्लड टेस्ट से होगी जांच

वैज्ञानिकों ने लंग कैंसर की पहचान के लिए एक नई तकनीक विकसित की है, जिसमें ब्लड टेस्ट के माध्यम से कैंसर कोशिकाओं की पहचान की जा सकेगी। यह परीक्षण समय पर निदान में मदद करेगा और मरीजों को कम दर्द का अनुभव होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह परीक्षण सफल होता है, तो यह कैंसर की जांच में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। जानें इस नई तकनीक के बारे में और कैसे यह लंग कैंसर के उपचार में सहायक हो सकता है।
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नई तकनीक से लंग कैंसर की पहचान में मिलेगी मदद: ब्लड टेस्ट से होगी जांच

लंग कैंसर की नई पहचान तकनीक

नई तकनीक से लंग कैंसर की पहचान में मिलेगी मदद: ब्लड टेस्ट से होगी जांच

लंग्स कैंसर की जांच

लंग कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो अक्सर अंतिम चरण में ही पहचान में आती है। इसका मुख्य कारण समय पर निदान की कमी है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक नया ब्लड टेस्ट विकसित किया है, जो रक्त में मौजूद एकल कैंसर कोशिकाओं की पहचान कर सकता है। यह तकनीक लंग कैंसर के निदान में एक नई उम्मीद लेकर आई है।

यह परीक्षण यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स ऑफ नॉर्थ मिडलैंड्स एनएचएस ट्रस्ट, कील यूनिवर्सिटी और लॉफबोरो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित किया गया है। इसे Fourier Transform Infrared (FT-IR) microspectroscopy कहा जाता है, जिसमें मरीज के रक्त का नमूना लेकर उसमें कैंसर कोशिकाओं की पहचान की जाती है।

कैंसर की पहचान की प्रक्रिया

इस प्रक्रिया में सबसे पहले रक्त का नमूना लिया जाता है। इसके बाद, नमूने पर प्रकाश डाला जाता है, जो प्रत्येक कोशिका की बारीकी से जांच करता है। यदि कोई कैंसर कोशिका पाई जाती है, तो उसकी एक विशेष छाप होती है, जिसे कंप्यूटर विश्लेषण के माध्यम से पहचाना जाता है। यह परीक्षण रक्त में एकल कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने में सक्षम है, जो अन्य परीक्षणों में मुश्किल होता है। यह प्रारंभिक चरण में कैंसर की पहचान को संभव बनाता है और कैंसर की स्क्रीनिंग और मॉनिटरिंग में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।

वर्तमान जांच विधियाँ

वर्तमान में, कैंसर की पहचान के लिए बायोप्सी या ऊतक नमूने का उपयोग किया जाता है, जो न केवल दर्दनाक होते हैं, बल्कि महंगे भी होते हैं। इनकी रिपोर्ट आने में कई दिन लगते हैं और मरीज को बायोप्सी के दौरान काफी परेशानी होती है। नए ब्लड टेस्ट से मरीजों को कम दर्द होगा और समय पर निदान संभव होगा, जिससे लंग कैंसर के उपचार में भी आसानी होगी।

शोधकर्ताओं का मानना है कि यदि यह परीक्षण बड़े स्तर पर सफल होता है, तो यह कई प्रकार के कैंसर की प्रारंभिक पहचान में सहायक हो सकता है, जो इस बीमारी के उपचार में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। हालांकि, यह अध्ययन अभी क्लीनिकल ट्रायल में है और इसके पूरा होने का इंतजार है।

विशेषज्ञों की राय

दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. रोहित कपूर का कहना है कि यह परीक्षण अभी ट्रायल चरण में है और इसे बड़े पैमाने पर देखना आवश्यक है। यदि यह सफल होता है, तो यह कैंसर की जांच में एक बड़ी क्रांति साबित हो सकता है, क्योंकि लंग कैंसर के 80 प्रतिशत से अधिक मामलों की पहचान अंतिम चरण में होती है। इसका मुख्य कारण यह है कि इसके परीक्षण के लिए कोई बेहतर तकनीक उपलब्ध नहीं है।