धारा का 'मन का खाओ' अभियान: स्वाद और स्वास्थ्य का अनूठा संगम

धारा ने अपने नए 'मन का खाओ' अभियान के तहत उपभोक्ताओं को अपने पसंदीदा व्यंजनों का आनंद लेने के लिए प्रेरित किया है। यह अभियान पोषण संबंधी चिंताओं को दूर करते हुए, स्वाद और स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करता है। जानें कैसे यह अभियान आज के जागरूक उपभोक्ताओं के लिए एक नई दिशा प्रदान कर रहा है।
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धारा का 'मन का खाओ' अभियान: स्वाद और स्वास्थ्य का अनूठा संगम

धारा का नया अभियान

धारा का 'मन का खाओ' अभियान: स्वाद और स्वास्थ्य का अनूठा संगम

अब अपने मन का खाइये

आजकल लोग अपने खाने को लेकर काफी सतर्क हो गए हैं। पहले लोग अपने मन से खाना खाते थे, लेकिन अब डाइट चार्ट ने उनकी आदतें बदल दी हैं। हर निवाले का ध्यान रखा जाने लगा है। इसी को ध्यान में रखते हुए, धारा ने ‘एक अच्छा तेल’ अभियान के अंतर्गत ‘मन का खाओ’ मुहिम की शुरुआत की है।

कंपनी ने इस अभियान की शुरुआत करते हुए बताया कि यह अभियान पोषण संबंधी चिंताओं के बिना अपने पसंदीदा व्यंजनों का आनंद लेने के लिए प्रेरित करता है। धारा का सरसों का तेल 15% कम तेल अवशोषण करता है और इसमें 0% ट्रांस-फैट होता है, जो स्वास्थ्य और स्वाद का बेहतरीन संतुलन प्रदान करता है।

इस नए अभियान का उद्देश्य जागरूक उपभोक्ताओं में खाने के प्रति आनंद और जुनून को फिर से जगाना है। यह उन्हें ‘मन का खाओ’ अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है, ताकि वे बिना किसी डर या भ्रम के अपने पसंदीदा भोजन का आनंद ले सकें।


धारा के तेल का लाभ

धारा के तेल से नहीं फैट की टेंशन

धारा ने अपने सरसों के तेल के साथ एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह 15% कम तेल अवशोषण और 0% ट्रांस-फैट प्रदान करता है। इसे उच्च गुणवत्ता मानकों के अनुसार बनाया गया है, जिससे उपभोक्ता अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों का आनंद ले सकते हैं।


स्वाद का आनंद लें

भोजन का लीजिए स्वाद

मदर डेयरी फ्रूट एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मनीष बंदिश ने कहा, “आज की दुनिया में क्या खाएं? इस चिंता का असर अक्सर हमारे पसंदीदा व्यंजनों का आनंद लेने की खुशी पर पड़ता है। धारा में, हमारा मानना ​​है कि भोजन का स्वाद लेना चाहिए, नाप-तोल कर नहीं। सावधानी से पकाएं, जुनून के साथ पकाएं और अच्छे तेल में बने अपने पसंदीदा भोजन का स्वाद लें।”


खाने का नाप-तोल

खाने का हो रहा नाप-तोल

आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में लोग खाने को लेकर बहुत सतर्क हो गए हैं। वे खाने से पहले ही कैलोरी, प्रोटीन और पोषण संबंधी जानकारी तैयार कर लेते हैं। अब भोजन आनंद और आराम का साधन नहीं रह गया है, बल्कि यह निगरानी और मूल्यांकन का विषय बन गया है।