धर्मेंद्र प्रधान का प्रियंका गांधी पर पलटवार: शिक्षा नीति पर अज्ञानता का आरोप
केंद्रीय शिक्षा मंत्री का प्रतिक्रिया
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान.
कांग्रेस की सांसद प्रियंका गांधी ने बीजेपी पर शिक्षा नीति को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार बच्चों को अपनी विचारधारा के अनुसार प्रभावित करने के लिए ‘नई शिक्षा नीति’ और ‘पीएम श्री’ कार्यक्रम का सहारा ले रही है। इस पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने प्रियंका के बयानों को उनकी अज्ञानता और राजनीतिक स्वार्थ का उदाहरण बताया। उनके अनुसार, ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयान देकर प्रियंका न केवल तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर रही हैं, बल्कि देश के शिक्षकों और शिक्षाविदों के ज्ञान का भी अपमान कर रही हैं, जिन्होंने इन महत्वपूर्ण सुधारों को विकसित किया है।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि देश पिछले 30 वर्षों से ऐसे शिक्षा सुधारों का इंतजार कर रहा था जो युवाओं को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार कर सकें। एनईपी-2020, जो स्वर्गीय के. कस्तूरीरंगन के मार्गदर्शन में तैयार की गई, अब तक की सबसे व्यापक और समावेशी परामर्श प्रक्रिया का परिणाम है। इसमें लाखों शिक्षकों, छात्रों और संस्थानों ने भाग लिया। यह नीति समावेशिता, समानता, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर जोर देते हुए शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने का प्रयास करती है।
पीएम श्री स्कूल का महत्व
उन्होंने आगे कहा कि पीएम श्री स्कूल इस दृष्टिकोण का जीवंत उदाहरण हैं। ये स्कूल स्मार्ट क्लासरूम, अटल टिंकरिंग लैब, डिजिटल शिक्षा, पुस्तकालय, पर्यावरण-अनुकूल परिसर, और कौशल विकास केंद्रों के साथ भारतीय शिक्षा के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये स्कूल कला, संस्कृति, खेल और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देते हैं। पीएम श्री स्कूल आधुनिकता को नैतिकता, तकनीक को परंपरा और नवाचार को समावेशिता के साथ जोड़ते हैं।
राजनीतिक वंशवाद का अंत
ऐसी दूरदर्शी पहलों का विरोध करना केवल नीति की आलोचना नहीं है, बल्कि यह उस विचार के खिलाफ खड़ा होना है जिसमें अब अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिए पुराने राजनीतिक वंशवाद की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है। शायद यह असंतोष इस तथ्य से उत्पन्न होता है कि दशकों तक शिक्षा को राजनीतिक बयानबाजी और उपेक्षा का शिकार बनाया गया। अब जब सुधार वास्तविकता बन रहे हैं, तो कुछ लोगों के लिए सफलता को स्वीकार करने के बजाय नाराजगी व्यक्त करना आसान है.
