धर्मेंद्र का निधन: भारतीय सिनेमा के युग का अंत

प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया, जिससे भारतीय सिनेमा के एक युग का अंत हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। धर्मेंद्र ने अपने करियर में कई हिट फिल्मों में काम किया और उन्हें पद्म भूषण जैसे सम्मान से नवाजा गया। उनकी अंतिम फिल्म 'इक्कीस' 25 दिसंबर को रिलीज होगी। इस लेख में उनके जीवन और करियर की महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं।
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धर्मेंद्र का निधन: भारतीय सिनेमा के युग का अंत

धर्मेंद्र का निधन

प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र का 89 वर्ष की आयु में सोमवार, 24 नवंबर को मुंबई में उनके निवास पर निधन हो गया। हाल ही में, उन्हें सांस लेने में कठिनाई के चलते ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बॉलीवुड के 'ही-मैन' के नाम से मशहूर धर्मेंद्र ने अपने पीछे छह दशकों से अधिक का एक अद्वितीय सिनेमाई योगदान छोड़ा है। उनकी अंतिम फिल्म 'इक्कीस' 25 दिसंबर को प्रदर्शित होने वाली है। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख व्यक्त किया है।


प्रधानमंत्री मोदी का श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि धर्मेंद्र जी का निधन भारतीय सिनेमा के एक युग का अंत है। उन्होंने एक प्रतिष्ठित फ़िल्मी व्यक्तित्व के रूप में अपनी हर भूमिका में गहराई और आकर्षण भरा। उनकी विविध भूमिकाओं ने अनगिनत दर्शकों के दिलों को छुआ। मोदी ने यह भी कहा कि धर्मेंद्र जी की सादगी, विनम्रता और गर्मजोशी के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। इस कठिन समय में, उन्होंने उनके परिवार, मित्रों और प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदनाएँ व्यक्त कीं।


केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की प्रतिक्रिया

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि धर्मेंद्र न केवल एक महान अभिनेता थे, बल्कि एक सरल और अच्छे इंसान भी थे। उन्होंने कहा कि उनका व्यक्तिगत जुड़ाव धर्मेंद्र से था और वे देश तथा किसानों के प्रति समर्पित थे। उनके निधन से फिल्म उद्योग को अपूरणीय क्षति हुई है। गडकरी ने यह भी बताया कि धर्मेंद्र के परिवार में उनकी पत्नियाँ प्रकाश कौर और हेमा मालिनी, और उनके छह बच्चे - अभिनेता सनी देओल, बॉबी देओल, ईशा देओल और अहाना देओल शामिल हैं।


धर्मेंद्र का फिल्मी करियर

भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सितारों में से एक माने जाने वाले धर्मेंद्र ने अपने करियर की शुरुआत 1960 की फ़िल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' से की थी। उन्होंने तीव्र और हास्य भूमिकाओं में अपनी प्रतिभा साबित की। 2012 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। अपने करियर में, उन्होंने 'शोले', 'यादों की बारात', 'मेरा गांव मेरा देश', 'प्रतिज्ञा', 'चुपके-चुपके', 'नौकर बीवी का', 'फूल और पत्थर', 'सत्यकाम', 'आई मिलन की बेला', 'दिल ने फिर याद किया', 'आये दिन बहार के', 'आंखें', 'आया सावन झूम के', 'जीवन मृत्यु', 'जुगनू', 'चरस', 'धरम वीर', 'आजाद', 'गजब', 'लोहा', 'हुकुमत' और 'अपने' जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया।