धनबाद में भाई-बहन की प्रेम कहानी का दुखद अंत: शव 96 घंटे तक पड़े रहे

धनबाद के पलानी गांव में एक युवक और युवती के शव 96 घंटे तक पड़े रहे, जबकि उनके परिवार वाले शव लेने नहीं आए। यह मामला प्रेम संबंधों और सामाजिक जिम्मेदारियों पर गंभीर सवाल उठाता है। पुलिस की निष्क्रियता और गांववालों की चुप्पी ने इस घटना को और भी दुखद बना दिया है। जानें इस घटना के पीछे की कहानी और समाज पर इसके प्रभाव।
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धनबाद में भाई-बहन की प्रेम कहानी का दुखद अंत: शव 96 घंटे तक पड़े रहे

धनबाद में एक दुखद घटना

Were brother and sister, fell in love, dead bodies of both were waiting for last rites for 96 hours, relatives just 4 km away


धनबाद जिले के भोर बलियापुर के पलानी गांव में एक युवक और युवती का शव बुधवार को धौखरा हाल्ट के निकट पाया गया। प्रारंभिक जांच में यह संदेह जताया गया है कि दोनों ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या की। हालांकि, शवों की पहचान हो चुकी है और पुलिस को भी इस बारे में जानकारी है। इसके बावजूद, 96 घंटे बीत जाने के बाद भी उनके परिवार वाले शव लेने नहीं आए। बताया जा रहा है कि दोनों भाई-बहन थे और उनके बीच प्रेम संबंध था, जिसके कारण उन्होंने यह कदम उठाया। पुलिस ने शवों को अज्ञात मानते हुए एसएनएमएमसीएच के डीप फ्रीजर में रखवा दिया है। यह बेहद दुखद है कि उनकी आत्मा अंतिम संस्कार का इंतजार कर रही होगी, जबकि परिवार और गांववाले चुप हैं।


पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठते हैं। बलियापुर थाना पुलिस को पता है कि दोनों पलानी के निवासी थे और उनके माता-पिता की जानकारी भी है। फिर भी, पुलिस कार्रवाई में कोई तत्परता नहीं दिखा रही है। पुलिस ने शवों को अज्ञात मानते हुए समाचार पत्रों में उनकी तस्वीरें प्रकाशित नहीं की हैं। बलियापुर थानेदार ने कहा कि वे 72 घंटे तक इंतजार करेंगे कि परिवार वाले खुद आकर प्राथमिकी दर्ज कराएं। यदि कोई नहीं आता है, तो पुलिस अंतिम संस्कार कराएगी। शनिवार को 72 घंटे पूरे हो गए, लेकिन पुलिस अब भी चुप है।


इस घटना ने समाज पर गंभीर सवाल उठाए हैं। क्या यही इंसानियत है, जब अपनों के शव लावारिस पड़े हैं? क्या माता-पिता के दिल में दर्द नहीं उठता? यदि हां, तो वे आगे क्यों नहीं आ रहे? गांव के लोग और जनप्रतिनिधि भी इस मामले में चुप हैं। पलानी के मुखिया प्रतिनिधि ने कहा कि उन्हें इस घटना की कोई जानकारी नहीं है।


एक और सवाल यह है कि क्या सम्मान के नाम पर हत्या तो नहीं की गई? बलियापुर थानेदार ने स्पष्ट किया है कि गांव में संदेश दिया गया है कि परिवार वाले आकर शव ले जाएं, अन्यथा बाद में कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेगा।