देहरादून में 'उद्गम 2025' प्रदर्शनी: छात्रों की रचनात्मकता का अद्भुत प्रदर्शन
प्रदर्शनी का उद्घाटन
कार्यक्रम का शुभारंभ
देहरादून इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के डिजाइन स्कूल में 'उद्गम 2025' प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें पहले सेमेस्टर के छात्रों की रचनात्मकता और नवाचार को प्रदर्शित किया गया। कुलपति प्रो. रघुरामा जी ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी में छात्रों ने उत्तराखंड की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर सामाजिक मुद्दों, पारंपरिक शिल्प और आधुनिक डिजाइन का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत किया। यह आयोजन कला, इतिहास और डिजाइन के माध्यम से सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देने का एक प्रेरणादायक उत्सव था।
विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
इस कार्यक्रम में कई प्रमुख अतिथि शामिल हुए, जिन्होंने छात्रों की रचनात्मकता की सराहना की और अपने अनुभव साझा किए। इनमें डॉ. उमाकांत पंवार, पूर्व आईएएस अधिकारी, प्रमुख सचिव (उत्तराखंड सरकार), उद्यमी और विज्ञान, डिज़ाइन व वास्तुकला के उत्साही शामिल थे।
कार्यक्रम में राकेश भट्ट, प्रसिद्ध ललित कला एवं लोक कलाकार, डिज़ाइनर आकांक्षा सिन्हा, और आर्किटेक्ट सुनील त्यागी भी उपस्थित रहे।
छात्रों की रचनात्मक यात्रा
छात्रों ने पेश की अपनी यात्रा
प्रदर्शनी में पहले वर्ष के विद्यार्थियों की रचनात्मक यात्रा को दर्शाया गया, जिसमें कला, शिल्प और डिजाइन थिंकिंग का संगम देखने को मिला। यह प्रदर्शन छात्रों की संवेदनशीलता, नवाचार और सांस्कृतिक जागरूकता को उजागर करता है।
शिल्पकला पर आधारित प्रदर्शनी
शिल्पकला से जुड़ी प्रदर्शनी ने जीता लोगों का दिल
उत्तराखंड राज्य के गठन की 25वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में, स्कूल ऑफ डिजाइन ने सामाजिक मुद्दों, भारतीय इतिहास और पारंपरिक शिल्पकला पर आधारित कार्यशालाओं और प्रोजेक्ट्स का प्रदर्शन किया। इनमें महिला सुरक्षा टूलकिट और भूख जागरूकता जैसे विषय विशेष रूप से उल्लेखनीय रहे, जहां छात्रों ने समुदाय कल्याण और सहानुभूति को बढ़ावा देने वाले डिज़ाइन समाधान और हस्तनिर्मित कलाकृतियां प्रस्तुत कीं।
संस्कृति का संरक्षण
कार्यक्रम ने दिया संस्कृति का संरक्षण का संदेश
यह प्रदर्शनी इस बात का उत्कृष्ट उदाहरण है कि कला, शिल्प, इतिहास और डिजाइन किस प्रकार मिलकर रचनात्मकता को प्रेरित करते हैं, संस्कृति का संरक्षण करते हैं और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को सशक्त बनाते हैं। 'उद्गम 2025' वास्तव में सृजनात्मकता की एक नई शुरुआत का प्रेरक उत्सव साबित हुआ।
