देशव्यापी हड़ताल: श्रमिक संगठनों की मांगों के बीच सेवाएं प्रभावित

हड़ताल का प्रभाव और श्रमिकों की मांगें
देशभर में 10 केंद्रीय श्रम संगठनों द्वारा आयोजित एक दिवसीय हड़ताल ने अधिकांश आवश्यक सेवाओं को प्रभावित नहीं किया। हालांकि, केरल, झारखंड और पुडुचेरी में कुछ सेवाएं प्रभावित होने की सूचना मिली है। श्रमिक संगठनों का कहना है कि 25 करोड़ श्रमिकों ने नई श्रम संहिताओं के खिलाफ इस 'आम हड़ताल' में भाग लिया। उनकी मांगों में चार श्रम संहिताओं का निरसन, ठेका प्रणाली का अंत, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण रोकना, और न्यूनतम मजदूरी को 26,000 रुपये प्रति माह करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, किसान संगठनों ने स्वामीनाथन आयोग के सी2 प्लस 50 प्रतिशत के आधार पर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और ऋण माफी की मांग की है.
केरल में हड़ताल का असर
केरल में यह हड़ताल पूर्ण रूप से सफल रही, जहां सेवाएं ठप हो गईं। निजी और सार्वजनिक परिवहन सेवाएं, विशेषकर लंबी दूरी की बसें, लगभग पूरी तरह से रुक गईं, जिससे सैकड़ों यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इनमें कई परिवार भी शामिल थे, जो रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों पर पहुंचे थे। वहीं, कर्नाटक के मैसूरु और बेंगलुरु में औद्योगिक गतिविधियां सामान्य रहीं, लेकिन मैसूरु में ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं ने रैली निकालकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
असम और ओडिशा में हड़ताल का समर्थन
असम में चाय बागानों के श्रमिकों सहित कई यूनियनों ने हड़ताल का समर्थन किया, जिसके चलते गुवाहाटी और अन्य शहरों में बसें और टैक्सियाँ बंद रहीं। इससे यात्रियों को काफी परेशानी हुई। कोलकाता और नक्सलबाड़ी में वाम समर्थकों ने रेल पटरियों पर बैठकर प्रदर्शन किया, जिसके कारण पुलिस से झड़पें भी हुईं। ओडिशा में, भुवनेश्वर और अन्य क्षेत्रों में श्रमिक संगठनों और वाहन चालकों की हड़ताल ने परिवहन व्यवस्था को प्रभावित किया। विपक्षी दलों ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया।
केंद्रीय श्रम मंत्रालय का बयान
केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि आरएसएस समर्थित भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) सहित लगभग 213 यूनियनों ने इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में भाग नहीं लेने की सूचना दी है। इसके अलावा, बैंक कर्मचारियों के एक संघ ने भी पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे इस हड़ताल में शामिल नहीं होंगे।