देवउठनी एकादशी पूजा में क्या न चढ़ाएं: जानें इसके नकारात्मक परिणाम
देवउठनी एकादशी का महत्व
देवउठनी एकादशी
Devuthani Ekadashi Puja: देवउठनी एकादशी केवल भगवान विष्णु के जागरण का दिन नहीं है, बल्कि यह सृष्टि में शुभता के लौटने का पर्व भी है। इस दिन जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं, तब मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होता है। इस पवित्र अवसर पर पूजा विधि का शुद्ध और नियमबद्ध होना अत्यंत आवश्यक है। शास्त्रों के अनुसार, यदि इस दिन कुछ विशेष वस्तुएं भूलवश भी भगवान को अर्पित की जाएं, तो इसका विपरीत प्रभाव हो सकता है, जिससे न केवल व्रत का फल कम हो जाता है, बल्कि पूजा की ऊर्जा भी निष्फल हो सकती है।
इन वस्तुओं को भूलकर भी न चढ़ाएं
देवउठनी एकादशी के दिन तेज मसालेदार भोजन, मांस, मछली, अंडा और शराब जैसी तामसी वस्तुओं का सेवन पूरी तरह से वर्जित है। इनका उपयोग पूजा की ऊर्जा को अशुद्ध करता है।
इसी प्रकार, अनाज, दाल, चावल, और गेहूं जैसी वस्तुएं भी इस दिन पूजा में नहीं चढ़ाई जातीं, क्योंकि एकादशी व्रत के दौरान अनाज का त्याग अनिवार्य होता है।
इसके अलावा, इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना या तुलसी माता का अनादर भी अशुभ फल देने वाला माना जाता है। तुलसी स्वयं लक्ष्मी का रूप हैं, इसलिए उन्हें इस दिन केवल पूर्व में तोड़े गए पत्ते ही अर्पित किए जाते हैं।
क्या हो सकते हैं इसके परिणाम?
तामसी पदार्थों का निषेध: देवउठनी एकादशी पर लहसुन, प्याज या मांसाहार जैसे तामसी पदार्थों को चढ़ाना वर्जित है, क्योंकि ये पूजा की पवित्रता को नष्ट करते हैं।
अनाज और दाल का उपयोग व्रत नियमों का उल्लंघन: इस दिन अन्न का सेवन या चढ़ाना व्रत की मर्यादा तोड़ने के समान माना जाता है, जिससे देवकृपा में बाधा आती है।
तुलसी माता के प्रति अनादर से विष्णु कृपा में कमी: तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है; अनादर करने से घर में अशांति और सौभाग्य में कमी आती है।
