दुनिया की सबसे महंगी सब्जी: हॉप शूट्स की कीमत सुनकर रह जाएंगे दंग

क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे महंगी सब्जी हॉप शूट्स है? इसकी कीमत सुनकर आप दंग रह जाएंगे। 1 किलो हॉप शूट्स की कीमत 85,000 रुपये है, जो 15 ग्राम सोने के बराबर है। अमेरिका और यूरोप में इसकी खेती करना कठिन है, और भारत में इसकी खेती नहीं होती। जानें इसके औषधीय गुण और वैश्विक बाजार के बारे में, जो 2030 तक 15.1 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
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दुनिया की सबसे महंगी सब्जी: हॉप शूट्स की कीमत सुनकर रह जाएंगे दंग

हॉप शूट्स: एक अनोखी सब्जी


क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे महंगी सब्जी कौन सी है? यदि आप सोचते हैं कि इसे खरीदने के लिए आपको केवल 5 या 10 हजार रुपये खर्च करने होंगे, तो आप गलत हैं। हॉप शूट्स की कीमत सुनकर आप चौंक जाएंगे। 1 किलो हॉप शूट्स की कीमत 85,000 रुपये है, जो कि 15 ग्राम सोने के बराबर है। इसलिए, इसे खरीदना आम लोगों के लिए संभव नहीं है; यह केवल धनवान व्यक्तियों जैसे टाटा या बिरला के लिए ही संभव है।


अमेरिका और यूरोप में हॉप शूट्स की खेती करना एक कठिन और श्रमसाध्य कार्य है, यही कारण है कि इसकी कीमत इतनी अधिक है। भारत में इसकी खेती नहीं होती, हालांकि हिमाचल प्रदेश में इसे उगाने की कोशिश की गई थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। हॉप शूट्स में कई औषधीय गुण होते हैं। इसके फूलों को हॉप कोन्स कहा जाता है, जो बीयर बनाने में उपयोग होते हैं, जबकि इसकी टहनियों और पत्तियों का उपयोग सब्जी बनाने में किया जाता है।


यह एक बारहमासी पर्वतीय पौधा है, जिसे पहले यूरोप और उत्तरी अमेरिका में खरपतवार माना जाता था, लेकिन बाद में इसके गुणों के कारण इसकी खेती शुरू की गई। इसका वैज्ञानिक नाम Humulus lupulus है और यह कैनाबेसी परिवार का एक सदस्य है। यह पौधा 6 मीटर तक बढ़ सकता है और 20 साल तक जीवित रह सकता है।


हॉप शूट्स की उच्च कीमत का एक कारण यह है कि इसे उगाने के लिए विशेष जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, यह पौधा तीसरे वर्ष में उत्पादन देना शुरू करता है, और इसकी देखभाल पर काफी खर्च होता है। हॉप शूट्स के पत्तों और फलों का उपयोग सब्जी और अचार बनाने में होता है, लेकिन इसका मुख्य उपयोग बीयर बनाने में होता है। इसके पत्तों और फूलों की तोड़ाई बहुत सावधानी से की जाती है।


जियॉन मार्केट रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, हॉप शूट्स का वैश्विक बाजार वर्तमान में 8.1 बिलियन डॉलर का है और यह सालाना 4.6% की दर से बढ़ रहा है। अनुमान है कि 2030 तक यह 15.1 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।