दीपावली 2023: 20 या 21 अक्टूबर? जानें सही तिथि और कारण
दीपावली का उत्सव और तिथियों का भ्रम
पिछले कुछ वर्षों में दीपावली का पर्व हमेशा से भ्रम का कारण बनता आया है। मुख्य समस्या यह है कि लोग यह नहीं समझ पाते कि उत्सव किस दिन मनाना है। इसके साथ ही, दफ्तरों में छुट्टियों की स्थिति भी जटिल होती है। जिस दिन त्योहार होता है, उस दिन छुट्टी नहीं होती, और जब छुट्टी होती है, तब तक त्योहार बीत चुका होता है। इस प्रकार हर साल इस तरह की उलझन बनी रहती है।
इस समस्या की जड़ को समझना आवश्यक है।
भारतीय परंपरा में अधिकांश त्योहार चंद्र कैलेंडर पर आधारित होते हैं, जिसमें तिथि की एक इकाई होती है। आमतौर पर यह तिथि एक दिन की होती है, लेकिन इसे 24 घंटे के रूप में नहीं माना जाता।
हम अपनी सुविधाओं के लिए ग्रेगेरियन कैलेंडर का उपयोग करते हैं, जो घंटों, दिनों, महीनों और वर्षों में विभाजित होता है। इस कैलेंडर में एक दिन को तारीख कहा जाता है।
हमारी गलती यह है कि हम चंद्र कैलेंडर की तिथि और ग्रेगेरियन कैलेंडर की तारीख को समान मान लेते हैं। तिथि और तारीख दो अलग-अलग इकाइयाँ हैं, और इन्हें एक जैसा मानने से भ्रम उत्पन्न होता है।
दीपावली का उत्सव अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है, न कि किसी तारीख पर।
दीपावली का उत्सव कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जो पूरी रात चलता है। इसलिए यह आवश्यक है कि अमावस्या रात भर रहे।
इस साल दीपावली 20 या 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी, लेकिन हमें तारीख के बारे में भ्रमित नहीं होना चाहिए।
उत्सव की तिथि का निर्धारण कैसे होता है, यह निर्णय सिंधु और व्रतराज सिंधु जैसे ग्रंथों से समझा जा सकता है। निर्णय सिंधु के अनुसार, दीपावली का निर्धारण प्रदोष व्यापिनी अमावस्या पर ध्यान देने से होता है। यदि अमावस्या दोनों दिन प्रदोषकाल में हो, तो लक्ष्मी पूजन दूसरे दिन किया जाता है।
20 अक्टूबर को अमावस्या प्रदोष व्यापिनी है, इसलिए निर्णय सिंधु के अनुसार दीपावली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
काशी विद्वत परिषद ने भी इस भ्रम को स्पष्ट किया है। परिषद के अनुसार, इस अमावस्या में बन रहे दुर्लभ चंद्र संयोग के कारण भ्रम उत्पन्न हुआ है। इस साल अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे से 21 अक्टूबर को शाम 5:54 बजे तक रहेगी।
लोग आमतौर पर उदया तिथि पर ध्यान देते हैं, जो सूर्योदय के समय शुरू होती है। इसलिए, एक सामान्य समझ के अनुसार, 21 अक्टूबर को दीपावली पूजन का दिन माना जा रहा था।
हालांकि, काशी विद्वत परिषद ने स्पष्ट किया है कि दीपावली में उदया तिथि का महत्व नहीं है। इसलिए इस पर विचार करना आधारहीन है।
भ्रम की स्थिति इसलिए बनी क्योंकि अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर से शुरू होकर 21 अक्टूबर की शाम को समाप्त हो रही है। हालांकि, लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर को ही है।
काशी विद्वत परिषद ने कहा है कि विद्वानों के साथ चर्चा के बाद यह निष्कर्ष निकला है कि पूरा प्रदोष काल 20 अक्टूबर को है, इसलिए लक्ष्मी पूजा के लिए यही दिन सबसे शुभ है।
द्रिक पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 21 अक्टूबर तक बनी रहती है, लेकिन लक्ष्मी पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ समय 20 अक्टूबर को है। इसलिए धार्मिक विद्वान और संस्थाएं देशभर में दीपावली 20 अक्टूबर को मनाने की सलाह दे रही हैं।
दीपावली में लक्ष्मी पूजन के लिए अमावस्या में मिलने वाली गोधूलि बेला, प्रदोष काल, और महानिशा पूजा के लिए निशीथ काल की अमावस्या आवश्यक है। यही दीपावली पूजन का आधार है।
इसलिए, दीपावली 20 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।
यह पहली बार नहीं है, पहले भी ऐसा हो चुका है और आगे भी ऐसा होने वाला है। पिछले वर्षों में दीपावली के मौके पर सूर्यग्रहण के कारण चंद्र कैलेंडर की तिथि पर असर पड़ा है।
उदाहरण के लिए, 2022 में दीपावली के दौरान सूर्यग्रहण लगा था, जिसके कारण गोवर्धन पूजा एक दिन बाद मनाई गई थी।
इसी तरह, 1962 में भी ऐसी स्थिति आई थी, जब अमावस्या दो दिन पड़ी थी। 27 अक्टूबर 1962 को अमावस्या सायंकाल 04:18 से शुरू होकर 28 अक्टूबर को सायंकाल 06:35 पर समाप्त हुई।
अगले साल 2026 में भी ऐसी ही स्थिति होगी। 2026 में अमावस्या तिथि 08 नवम्बर को सुबह 11:27 बजे शुरू होगी और 09 नवम्बर को दोपहर 12:31 बजे समाप्त होगी।