दिवाली: भारतीय संस्कृति का वैश्विक उत्सव

दिवाली का अंतरराष्ट्रीय विस्तार

कई देशों में दिवाली पर पटाखे भी फोड़े जाते हैं
दिवाली अब केवल भारत का त्योहार नहीं रह गया है। यह अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, जर्मनी, फ़्रांस, अरब देशों और यहां तक कि चीन में भी मनाया जाता है। इस दिन भारतीय लोग पारंपरिक परिधान पहनते हैं और रोशनी के इस पर्व पर दीपों और बिजली की झालरों से सजावट करते हैं। मिठाइयों का आदान-प्रदान भी होता है, जिसमें काजू कतली सबसे लोकप्रिय है। अमेरिका और कनाडा में जलेबी की भी मांग है, लेकिन काजू कतली का कोई मुकाबला नहीं। चॉकलेट कंपनियों ने भारतीय मिठाइयों का विकल्प देने की कोशिश की, लेकिन भारतीयों के दिल में काजू कतली का स्थान अटूट है। दिवाली के अवसर पर पटाखों का भी चलन है।
आतिशबाजी का महत्व
आतिशबाजी खुशी मनाने का तरीका
कई लोग दिवाली पर पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं, यह कहते हुए कि जब भारत में गोला बारूद आया, तब से पटाखों का चलन शुरू हुआ। लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि बिजली का आविष्कार 19वीं सदी में हुआ था। दिवाली पर आतिशबाजी खुशी का प्रतीक है। बड़े शहरों में प्रदूषण और आगजनी की घटनाओं को देखते हुए सीमित बिक्री की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन पूर्ण प्रतिबंध लोगों की खुशी में बाधा डालता है। दिवाली का समय अक्टूबर-नवंबर में आता है, जब प्रदूषण बढ़ना सामान्य है।
राजनीतिक दृष्टिकोण
पटाखों के विरोध की राजनीति
इस मौसम को शरद ऋतु कहा जाता है, जब वातावरण में गर्मी कम होने लगती है। प्रदूषण का मुख्य कारण केवल आतिशबाजी नहीं है, बल्कि पराली जलाना, वाहनों की बढ़ती संख्या और औद्योगिक कचरा भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। कुछ लोग इसे दिवाली की आतिशबाजी से जोड़ते हैं। दिलचस्प बात यह है कि अधिकांश लोग जो पटाखों का विरोध करते हैं, वे राजनीतिक रूप से प्रगतिशील होते हैं। इससे उनके विरोध का सामना करने वाले पारंपरिक त्योहार मनाने वाले लोग भी सामने आते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिवाली
अमेरिका और कनाडा में भी आतिशबाजी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तीन दिनों के लिए पटाखों पर प्रतिबंध हटा लिया गया। इस बार भी पटाखों का उपयोग हुआ, लेकिन प्रदूषण अपेक्षाकृत कम बढ़ा। अमेरिका और कनाडा में भी दिवाली मनाई जाती है, जहां भारतीय समुदाय अपने घरों में पूजा करते हैं और बाहर रोशनी सजाते हैं। वहां के भारतीय स्टोरों में पटाखे और मिठाइयां आसानी से मिलती हैं।
दिवाली का सामाजिक महत्व
भारत में दिवाली हर समाज का त्योहार
खाड़ी देशों में भारतीयों की बड़ी संख्या है। सऊदी अरब में पहले ईद के अलावा अन्य त्योहारों को सार्वजनिक रूप से मनाने की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब वहां दिवाली मनाने की अनुमति दी गई है। भारत में दिवाली एक राष्ट्रीय त्योहार है, जिसे सभी धर्मों के लोग मनाते हैं। यहां तक कि भारतीय मुसलमान भी इस दिन को खास मानते हैं।
दिवाली की रौनक
दिवाली की रौनक चारों तरफ
कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में दिवाली की रौनक देखकर दिल्ली की याद आ जाती है। लंदन और अन्य देशों में भी यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। चीन, थाईलैंड, और अन्य देशों में भी दिवाली परंपरागत तरीके से मनाई जाती है।
भारतीय डायसपोरा का प्रभाव
भारतीय क्रीमी लेयर का पलायन
2000 के बाद से अमेरिका और कनाडा में आईटी पेशेवरों का प्रवास शुरू हुआ। ये लोग बेहतर जीवन की तलाश में गए, और वहां भी उन्होंने सफलता पाई। भारतीय समुदाय अब वहां अपनी संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा दे रहा है। दिवाली अब केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भारतीय पहचान का प्रतीक बन गया है।