दिवाली पर भारतीय बाजार ने तोड़ा रिकॉर्ड, स्वदेशी वस्तुओं की बिक्री में आई बंपर वृद्धि

दिवाली का ऐतिहासिक कारोबार

दिवाली का ‘बड़ा धमाका’!
इस वर्ष की दिवाली केवल रोशनी और मिठाइयों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई है। देश के बाजारों ने बिक्री के सभी पिछले रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस त्योहारी सीजन में भारत ने ₹6.05 लाख करोड़ का कारोबार किया है। यह आंकड़ा देश के व्यापारिक इतिहास में सबसे बड़ी त्योहारी बिक्री बन गया है। इस सफलता ने न केवल बाजारों में नई ऊर्जा भरी है, बल्कि यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना की भी जीत है।
कैट की रिसर्च शाखा द्वारा किए गए इस सर्वेक्षण में देश के 60 प्रमुख शहरों को शामिल किया गया, जिसमें सभी राज्यों की राजधानियाँ और टियर-2 तथा टियर-3 शहर भी शामिल थे। रिपोर्ट ने यह दर्शाया है कि भारत का पारंपरिक खुदरा बाजार कितनी मजबूती से लौट रहा है।
87% भारतीयों ने चीनी सामान को कहा ‘ना’
87% भारतीयों ने चीनी सामान को कहा ‘ना’
इस रिकॉर्ड बिक्री का मुख्य कारण ‘स्वदेशी’ की भावना रही है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘स्वदेशी दिवाली’ के आह्वान ने व्यापारियों और ग्राहकों को प्रेरित किया।
रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री इस अभियान के “मजबूत ब्रांड एंबेसडर” बनकर उभरे। उनकी अपील का इतना गहरा असर हुआ कि सर्वेक्षण में शामिल 87% उपभोक्ताओं ने विदेशी, विशेषकर चीनी उत्पादों के बजाय भारतीय वस्तुओं को खरीदना पसंद किया। इसका परिणाम यह हुआ कि चीनी उत्पादों की मांग में गिरावट आई। व्यापारियों ने बताया कि भारतीय निर्मित वस्तुओं की बिक्री में पिछले साल की तुलना में 25% की वृद्धि हुई। यह बदलाव केवल एक आर्थिक आँकड़ा नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रवाद और स्वदेशी गौरव की एक स्पष्ट लहर को दर्शाता है।
छोटे व्यापारियों की शानदार वापसी
छोटे व्यापारियों की शानदार वापसी
इस दिवाली की बिक्री का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इस ₹6.05 लाख करोड़ के कारोबार में लगभग 85% हिस्सेदारी गैर-कॉरपोरेट यानी पारंपरिक बाजारों और छोटे व्यापारियों की रही है। यह आंकड़ा भारतीय खुदरा बाजार की असली ताकत को दर्शाता है।
यह इस बात का प्रमाण है कि बड़े ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और मॉल्स के बावजूद, भारत का आम व्यापारी आज भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। पिछले साल दिवाली पर कुल ₹4.25 लाख करोड़ का व्यापार हुआ था, जबकि इस साल 25% की वृद्धि हुई है। यह उछाल उन छोटे व्यापारियों के लिए राहत और वापसी का संकेत है, जो हाल में कई चुनौतियों का सामना कर रहे थे। यह बिक्री साबित करती है कि भारत के असली बाजार महानगरों के मॉल्स में नहीं, बल्कि चांदनी चौक जैसे बाजारों में हैं।
किराना से लेकर सोना-चांदी तक सभी ने रचा इतिहास
किराना से लेकर सोना-चांदी तक सभी ने रचा इतिहास
यह बंपर बिक्री किसी एक सेक्टर तक सीमित नहीं रही। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भारतीया ने बताया कि खरीदारी लगभग हर क्षेत्र में हुई। कुल वस्तु व्यापार (जो ₹5.40 लाख करोड़ रहा) में सबसे बड़ा हिस्सा किराना और एफएमसीजी (12%) का रहा। इसके बाद सोना-चांदी (10%) का स्थान रहा।
इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं इलेक्ट्रिकल्स (8%), रेडीमेड परिधान (7%), गिफ्ट आइटम (7%), और घर की सजावट (5%) जैसे क्षेत्रों में भी खरीदारी हुई। मिठाई, नमकीन, पूजन सामग्री से लेकर फर्नीचर और फुटवियर तक, हर जगह मांग मजबूत रही।
दिवाली में मिला 50 लाख नए रोजगार
दिवाली में मिला 50 लाख नए रोजगार
इस रिकॉर्ड बिक्री का एक बड़ा कारण जीएसटी दरों में सुधार भी है। सर्वे में शामिल 72% व्यापारियों ने माना कि जीएसटी दरों में कटौती के कारण वे ग्राहकों को बेहतर दाम दे पाए, जिससे बिक्री बढ़ी। उपभोक्ताओं ने भी कीमतों में स्थिरता पर संतोष व्यक्त किया।
यह उत्साह केवल अस्थायी नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, व्यापारियों का विश्वास 8.6/10 और उपभोक्ताओं का विश्वास 8.4/10 के स्तर पर है, जो पिछले एक दशक में सबसे अधिक है। यह बढ़ता विश्वास दिखाता है कि लोग नियंत्रित मुद्रास्फीति और बढ़ती आय के बीच राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को लेकर आश्वस्त हैं।
इस त्योहारी सीजन ने रोजगार के मोर्चे पर भी बड़ी खुशखबरी दी है। 9 करोड़ छोटे व्यापारियों वाले इस गैर-कॉरपोरेट क्षेत्र ने दिवाली के दौरान 50 लाख अस्थायी रोजगार पैदा किए। महत्वपूर्ण बात यह है कि कुल व्यापार में 28% योगदान ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों से आया है, जो दिखाता है कि आर्थिक मजबूती अब केवल महानगरों तक सीमित नहीं है।