दिवाली 2025: लक्ष्मी और गणेश की पूजा का महत्व
दिवाली का पर्व और पूजा की परंपरा
कल, यानी 20 अक्टूबर को, पूरे देश में दिवाली का उत्सव मनाया जाएगा। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन इनकी पूजा करने से घर में समृद्धि और धन की वृद्धि होती है। इसके साथ ही, अन्य देवी-देवताओं की भी पूजा की जाती है।
भगवान विष्णु की पूजा का अभाव
हालांकि, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा नहीं की जाती। ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन उनकी पूजा करने से कोई लाभ नहीं मिलता। आइए जानते हैं कि माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का क्या महत्व है और भगवान विष्णु की पूजा क्यों नहीं होती।
मां लक्ष्मी का धरती पर भ्रमण
विष्णु पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी पर चार महीने की योगनिद्रा में चले जाते हैं। यह एकादशी आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में आती है। दिवाली का त्योहार चातुर्मास के दौरान मनाया जाता है, और इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं। इसलिए, माता लक्ष्मी दिवाली के दिन अकेले ही धरती पर भ्रमण करती हैं। भगवान विष्णु 11 दिन बाद, देवउठनी एकादशी को जागते हैं।
महापुराण की कथा
महापुराण में एक कथा का उल्लेख है जिसमें माता लक्ष्मी को अभिमान हो गया। जब भगवान विष्णु को यह पता चला, तो उन्होंने माता लक्ष्मी से कहा कि भले ही सभी उन्हें पाने की इच्छा रखते हैं, लेकिन वे अभी भी अपूर्ण हैं। माता लक्ष्मी ने पूछा कि ऐसा क्यों है, तो भगवान विष्णु ने बताया कि कोई भी स्त्री बिना मां बने पूर्ण नहीं मानी जाती।
गणेश जी का महत्व
भगवान विष्णु की बात सुनकर माता लक्ष्मी दुखी हो गईं। माता पार्वती ने उन्हें सांत्वना दी और गणेश जी को उनके गोद में बैठा दिया, यह कहते हुए कि गणेश अब से उनका पुत्र होगा। इसके बाद से गणेश जी को माता लक्ष्मी का दत्तक पुत्र माना जाने लगा। माता लक्ष्मी ने गणेश जी को यह वरदान दिया कि उनकी पूजा के बिना कोई भी उनकी पूजा नहीं कर सकेगा। इसलिए, दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की एक साथ पूजा की जाती है।