दिल्ली हाईकोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड के आरोपी विकास यादव की याचिका पर मांगा जवाब

दिल्ली हाईकोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड के आरोपी विकास यादव की याचिका पर सुनवाई की है। कोर्ट ने तिहाड़ जेल के महानिदेशक, कटारा के परिवार और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। विकास यादव ने 21 दिनों की फर्लो के लिए याचिका दायर की है, जिसे जेल अधिकारियों ने खारिज कर दिया था। इस मामले में अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी। जानें इस जटिल मामले के बारे में और क्या है विकास यादव का तर्क।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड के आरोपी विकास यादव की याचिका पर मांगा जवाब

दिल्ली हाईकोर्ट की सुनवाई

दिल्ली हाईकोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड के आरोपी विकास यादव की याचिका पर मांगा जवाब

नीतीश कटारा हत्याकांड का आरोपी विकास यादव

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को नीतीश कटारा हत्याकांड के आरोपी विकास यादव की याचिका पर सुनवाई की। इस मामले में कोर्ट ने तिहाड़ जेल के महानिदेशक, नीतीश कटारा के परिवार और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। विकास यादव ने 21 दिनों की फर्लो के लिए याचिका दायर की है।

हाईकोर्ट के जस्टिस रविंदर डुडेजा ने कटारा की मां नीलम कटारा, भाई अजय कटारा, तिहाड़ जेल के महानिदेशक और दिल्ली सरकार के गृह सचिव को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि विकास यादव को 21 दिनों की फर्लो क्यों नहीं दी जानी चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को निर्धारित की गई है।


मामले का विवरण

क्या है पूरा मामला?

नीतीश कटारा का अपहरण और हत्या 2002 में विकास यादव और उसके भाई विशाल यादव द्वारा की गई थी, जो राजनेता डीपी यादव के रिश्तेदार हैं। बताया जाता है कि नीतीश कटारा का संबंध विकास की बहन भारती यादव से था। यह हत्या जाति और पारिवारिक सम्मान के मुद्दे पर की गई थी, जिसे 'ऑनर किलिंग' माना गया। कटारा का जला हुआ शव गाजियाबाद के पास मिला था। वर्षों की सुनवाई के बाद, विकास और विशाल यादव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।


याचिका में उठाए गए मुद्दे

जेल महानिदेशक के आदेश को दी चुनौती

विकास यादव ने अपनी याचिका में जेल महानिदेशक द्वारा उनकी फर्लो याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती दी है। उन्होंने तर्क दिया है कि उन्होंने आजीवन कारावास की निर्धारित 25 साल की सजा में से 23 साल से अधिक की सजा काट ली है। तिहाड़ जेल अधिकारियों ने उनके फर्लो आवेदन को गंभीरता, वार्षिक आचरण रिपोर्ट की कमी और पीड़ित परिवार के विरोध के कारण अस्वीकार कर दिया था।

आजादी का कभी भी नहीं किया दुरुपयोग

विकास यादव का कहना है कि वह अपनी मां के इलाज और शादी के लिए 4 महीने से अधिक समय से अंतरिम जमानत पर था और इस दौरान उसकी आजादी का दुरुपयोग नहीं हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि भेदभावपूर्ण तरीके से फर्लो देने से इनकार किया जा रहा है, जबकि गंभीर अपराधों में शामिल अन्य दोषियों को नियमित रूप से फर्लो पर रिहा किया जा रहा है। सुनवाई के दौरान विकास यादव की ओर से सीनियर एडवोकेट विकास पाहवा पेश हुए।