दिल्ली हाई कोर्ट ने टैटू नियम पर उठाए सवाल, दाएं और बाएं हाथ में भेद क्यों?

दिल्ली हाई कोर्ट ने सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए टैटू नियम पर सवाल उठाया है, जिसमें दाहिनी भुजा पर टैटू होने पर अभ्यर्थियों को अयोग्य ठहराया जाता है। कोर्ट ने यह जानना चाहा कि बाईं भुजा पर टैटू होने पर अनुमति क्यों दी जाती है। विपिन कुमार नामक एक अभ्यर्थी ने अपनी अयोग्यता को चुनौती दी है और टैटू हटाने के लिए सर्जरी करवाने की पेशकश की है। इस मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी।
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दिल्ली हाई कोर्ट ने टैटू नियम पर उठाए सवाल, दाएं और बाएं हाथ में भेद क्यों?

टैटू के नियम पर कोर्ट की चिंता

दिल्ली हाई कोर्ट ने टैटू नियम पर उठाए सवाल, दाएं और बाएं हाथ में भेद क्यों?

टैटू नियम पर कोर्ट का सवाल

दिल्ली हाई कोर्ट ने उन अभ्यर्थियों के लिए चिंता जताई है, जिन्हें दाहिनी भुजा पर टैटू होने के कारण सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए अयोग्य ठहराया गया है। कोर्ट ने यह सवाल उठाया है कि यदि दाहिनी भुजा पर टैटू है तो अभ्यर्थी को अयोग्य माना जाता है, जबकि बाईं भुजा पर टैटू होने पर उन्हें भर्ती की अनुमति दी जाती है। यह भेदभाव किस नियम के तहत किया जा रहा है?

जस्टिस सी. हरिशंकर और ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने एक याचिका पर सुनवाई की, जिसे खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि दोनों भुजाओं पर टैटू के बीच का भेद मनमाना प्रतीत होता है और यह स्पष्ट नहीं है कि इस भर्ती परीक्षा में टैटू को कैसे मानक माना जा सकता है।

अभ्यर्थी ने टैटू हटाने के लिए सर्जरी का प्रस्ताव दिया

यह याचिका विपिन कुमार द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में मोटर मैकेनिक व्हीकल के पद के लिए आवेदन किया था। उनके दाहिनी भुजा पर टैटू होने के कारण उन्हें अयोग्य ठहराया गया। विपिन ने अपनी अयोग्यता को चुनौती देते हुए कहा कि वह इसे हटाने के लिए सर्जरी करवाने को तैयार हैं।

मामले की अगली सुनवाई कब होगी?

गृह मंत्रालय के नियमों के अनुसार, टैटू केवल 'पारंपरिक स्थानों' पर मान्य हैं, जैसे कि बांह के अंदरूनी हिस्से पर। लेकिन यह अजीब है कि 'पारंपरिक स्थान' केवल बाईं बांह पर ही माना गया है।

कोर्ट ने कहा कि वे यह समझने में असमर्थ हैं कि किसी अभ्यर्थी के दाहिने हाथ पर टैटू होने के कारण उसे सेना में भर्ती के लिए अयोग्य कैसे ठहराया जा सकता है। इस मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी.