दिल्ली हाई कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को दी जमानत, जानें क्या है मामला
कुलदीप सेंगर की सजा पर रोक
कुलदीप सिंह सेंगर
उन्नाव रेप मामले में पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को दिल्ली हाई कोर्ट ने निलंबित कर दिया है। कोर्ट ने उन्हें कुछ शर्तों के साथ जमानत दी है। पहले, ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने यह आदेश दिया है कि उनकी सजा को सस्पेंड किया जा रहा है।
जमानत मिलने का आधार कोर्ट के 53 पन्नों के आदेश में स्पष्ट किया गया है। इसके अनुसार, कोर्ट ने पहले दृष्टया यह निष्कर्ष निकाला कि सेंगर के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत गंभीर यौन हमले का मामला नहीं बनता।
POCSO एक्ट की धारा 5 में उन परिस्थितियों का उल्लेख है, जिनमें किसी बच्चे के साथ किया गया पेनिट्रेटिव सेक्शुअल असॉल्ट गंभीर माना जाता है। यदि यह किसी सरकारी कर्मचारी या पुलिस अधिकारी द्वारा किया जाता है, तो इसे गंभीर अपराध माना जाता है।
गंभीर पेनिट्रेटिव सेक्शुअल असॉल्ट के लिए न्यूनतम 20 साल की सजा होती है, जो उम्रकैद तक बढ़ सकती है। ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को इस आधार पर सजा दी थी कि वह सरकारी कर्मचारी की श्रेणी में आता है।
कोर्ट का निर्णय
हालांकि, हाई कोर्ट ने कहा कि सेंगर को POCSO एक्ट की धारा 5(c) या IPC की धारा 376(2)(b) के तहत पब्लिक सर्वेंट के रूप में नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि सेंगर POCSO एक्ट की धारा 5(p) के दायरे में नहीं आते। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी बताया कि POCSO की धारा 4 के तहत न्यूनतम सजा सात साल है, जो सेंगर पहले ही काट चुका है।
इस अदालत ने यह भी कहा कि (i) POCSO अधिनियम की धारा 5(c) के तहत अपराध नहीं बनता है क्योंकि वह “लोक सेवक” की परिभाषा में नहीं आता है, (ii) केवल POCSO अधिनियम की धारा 3 के तहत अपराध बनता है, और (iii) यह देखते हुए कि सेंगर पहले ही लगभग 7 साल और 5 महीने जेल में बिता चुका है, अदालत उसकी सजा को निलंबित करने के लिए तैयार है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने ये बातें कुलदीप सेंगर की सजा सस्पेंड करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहीं। यह याचिका पूर्व विधायक ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर की थी, जिसमें उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
क्या सेंगर जेल से बाहर आ पाएंगे?
हालांकि कुलदीप सेंगर को जमानत मिल गई है, लेकिन उन्हें अभी भी जेल में रहना होगा। वह बाहर नहीं आ पाएंगे क्योंकि उन पर रेप पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत का मामला भी चल रहा है, जिसमें वह 10 साल की सजा काट रहे हैं।
मामले का विवरण
उन्नाव में एक नाबालिग रेप पीड़िता ने कुलदीप सेंगर पर 11-20 जून, 2017 के बीच अपहरण कर रेप करने और फिर उसे 60,000 में बेचने का आरोप लगाया था। पीड़िता को बाद में माखी पुलिस स्टेशन से बरामद किया गया। आरोप है कि सेंगर के कहने पर पुलिस अधिकारियों ने पीड़िता को धमकाया और चुप रहने का दबाव बनाया।
हालांकि, मामले के उजागर होने के बाद सेंगर के खिलाफ रेप, किडनैपिंग और क्रिमिनल इंटिमिडेशन के साथ-साथ POCSO एक्ट के तहत FIR दर्ज की गई और इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया।
अगस्त 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप केस से जुड़े चार मामलों का ट्रायल दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया और आदेश दिया कि मामले की सुनवाई रोज़ाना की जाए और 45 दिनों के भीतर पूरी की जाए। दिसंबर 2019 में, ट्रायल कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को रेप केस में दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई।
ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को पब्लिक सर्वेंट माना था और कहा था कि लोकतांत्रिक प्रणाली में, सेंगर पर लोगों का विश्वास था, जिसे उन्होंने धोखा दिया। दोष सिद्धी के इसी फैसले के खिलाफ कुलदीप सेंगर ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की है, जिस पर जनवरी 2026 में सुनवाई होगी.
