दिल्ली विस्फोट के बाद अल-फलाह विश्वविद्यालय की जांच में जवाद अहमद सिद्दीकी का नाम
जवाद अहमद सिद्दीकी की भूमिका पर सवाल
अल-फलाह विश्वविद्यालय के संस्थापक ट्रस्टी जवाद अहमद सिद्दीकी इस सप्ताह की शुरुआत में लाल किले के पास हुए घातक विस्फोट के बाद जांच के दायरे में आ गए हैं। उनकी पहचान तब हुई जब फरीदाबाद में एक कथित 'सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल' से जुड़े तीन डॉक्टर, डॉ. उमर नबी, डॉ. मुज़म्मिल शकील (जिन्हें मुज़म्मिल अहमद गनई के नाम से भी जाना जाता है) और शाहीन शाहिद, विश्वविद्यालय में काम करते पाए गए। इस खोज ने जांचकर्ताओं को इस संस्थान और इसके प्रबंधन की गहन जांच करने के लिए प्रेरित किया।
सुरक्षा एजेंसियों ने फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय के सभी दस्तावेजों का फोरेंसिक ऑडिट करने का आदेश दिया है। सूत्रों के अनुसार, सरकार ने इस प्रक्रिया को लागू करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही, प्रवर्तन निदेशालय भी विश्वविद्यालय के वित्तीय लेनदेन की जांच करेगा.
वित्तीय लेनदेन की जांच
अन्य वित्तीय एजेंसियां भी इस विश्वविद्यालय से जुड़े पैसों के लेनदेन की जांच करेंगी। जांच एजेंसियां संदिग्धों के रिकॉर्ड के साथ-साथ विश्वविद्यालय की नियुक्ति प्रक्रिया की भी समीक्षा कर रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में यहां नियुक्त डॉक्टरों और प्रोफेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया, छात्रों और सेवा दे रहे कश्मीरी डॉक्टरों के सत्यापन, और डॉ. शाहीन तथा डॉ. मुज़म्मिल शकील द्वारा ली गई छुट्टियों की जानकारी पर भी ध्यान दिया जाएगा.
डायरी से खुलते राज
हमले में शामिल डॉ. उमर मोहम्मद तार्क उमर नबी और डॉ. मुजम्मिल की 'डायरी' से कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ सामने आई हैं। ये लोग सुनियोजित तरीके से लंबे समय से हमले की योजना बना रहे थे। डायरियों में कोड वर्ड्स का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें 8 से 12 नवंबर के बीच की तारीखों का उल्लेख है। 10 नवंबर को विस्फोट किया गया।
यूनिवर्सिटी की सदस्यता निलंबित
भारतीय विश्वविद्यालय संघ (AIU) ने अल-फलाह विश्वविद्यालय की सदस्यता निलंबित कर दी है और निर्देश दिया है कि विश्वविद्यालय अब AIU के नाम और लोगो का उपयोग नहीं कर सकता। यदि ऐसा किया गया, तो इसे विश्वविद्यालय की वेबसाइट से हटाने के लिए कहा गया है। वहीं, नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (NAAC) ने भी विश्वविद्यालय को मान्यता संबंधी कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सूत्रों के अनुसार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने भी विश्वविद्यालय प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
