दिल्ली विश्वविद्यालय में विमर्श 2025 का उद्घाटन: संविधान की आत्मा पर चर्चा
विमर्श 2025 का भव्य उद्घाटन

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के कमला नेहरू कॉलेज में आज युवा संगठन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक संवाद 'विमर्श 2025' का उद्घाटन हुआ। इस वर्ष का मुख्य विषय 'संविधान: भारत की आत्मा' है, जिसमें देशभर के युवा, शिक्षाविद् और विचारक एकत्रित हुए हैं ताकि भारतीय संविधान की गहराई और उसके जीवन-दर्शन पर विचार-विमर्श किया जा सके।
संस्कृति की छांव में विमर्श की शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत दक्षिण भारतीय पारंपरिक नृत्य से हुई, जिसने सभागार को भारतीय संस्कृति की विविधता से भर दिया। इसके बाद महाराष्ट्र के लोकनृत्य ने माहौल में उल्लास और ऊर्जा का संचार किया। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के बाद प्री-विमर्श प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया, जिससे युवाओं का उत्साह और बढ़ गया।
विचारों की दिशा तय करता है विमर्श
उद्घाटन सत्र में कविंदर तालियान ने 'युवा' संगठन की यात्रा और इसके उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा, 'जैसी दिशा युवाओं को मिलेगी, वैसी ही देश की दशा होगी।' विमर्श संयोजक डॉ. प्रतिभा त्यागी ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कैंपस क्रॉनिकल की वार्षिक पत्रिका 'संविधान – द सोल ऑफ भारत' का लोकार्पण किया।
संविधान की समकालीन प्रासंगिकता पर गहन संवाद
विशिष्ट अतिथि प्रो. अशोक कुमार नागावत (कुलपति, डीएसईयू) ने युवाओं को संविधान की भावना को समझने और उसे अपने जीवन में उतारने का आह्वान किया। प्रो. डॉ. पवित्रा भारद्वाज (प्राचार्या, कमला नेहरू कॉलेज) ने कहा, 'संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि हमारे देश की आत्मा है।' वहीं प्रो. बालाराम पाणी (डीन ऑफ कॉलेजेज, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने विमर्श को युवाओं के लिए एक विचारशील और जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा बताया।
संविधान में निहित है जीवन का दर्शन: न्यायमूर्ति गोयल
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता पूर्व न्यायधीश, न्यायमूर्ति ए.के. गोयल ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा, 'भारत का संविधान विश्व के सबसे जीवंत संविधानों में से एक है, जिसमें शासन का ढांचा ही नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन भी समाहित है।' उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे संविधान के मूल्यों को अपने आचरण का हिस्सा बनाएं और लोकतंत्र को सशक्त बनाएं।
विमर्श 2025: विचारों का संगम, भविष्य की दिशा
कार्यक्रम के समापन पर डॉ. प्रतिभा त्रिपाठी (विमर्श कन्वीनर) ने सभी अतिथियों, प्राध्यापकों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा, 'विमर्श 2025 युवाओं के विचारों का ऐसा संगम है जो भारत के भविष्य की दिशा तय करेगा।'
