दिल्ली में प्रदूषण विरोधी प्रदर्शन में अराजकता: नागरिकों ने उठाई आवाज
दिल्ली के इंडिया गेट पर वायु प्रदूषण के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान अराजकता फैल गई, जब प्रदर्शनकारियों ने माओवादी कमांडर हिडमा के समर्थन में नारे लगाए। इसके जवाब में, नागरिकों ने दिल्ली पुलिस के समर्थन में एकत्र होकर राष्ट्र की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा का संकल्प लिया। यह घटना न केवल कानून के खिलाफ थी, बल्कि भारत के लोकतंत्र को चुनौती देने वाली भी थी। नागरिकों ने स्पष्ट किया कि वे अब केवल दर्शक नहीं हैं, बल्कि राष्ट्र-विरोधी विचारधारा का सामना करने के लिए तैयार हैं।
| Nov 26, 2025, 12:40 IST
दिल्ली के इंडिया गेट पर प्रदर्शन का माहौल
रविवार को दिल्ली के इंडिया गेट पर वायु प्रदूषण के खिलाफ एकत्रित हुए प्रदर्शनकारियों ने अचानक माहौल को बदल दिया। उन्होंने कुख्यात माओवादी कमांडर हिडमा के समर्थन में नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान दिल्ली पुलिस पर हमला हुआ, पेपर स्प्रे का इस्तेमाल किया गया और सड़कों को अवरुद्ध कर अराजकता फैलाई गई। यह दृश्य किसी शांतिपूर्ण आंदोलन का नहीं था, बल्कि भारत के लोकतंत्र और सुरक्षा बलों को चुनौती देने वाली एक संगठित साजिश का प्रतीक था। इसी शर्मनाक घटना के जवाब में मंगलवार को उसी इंडिया गेट पर नागरिक एकत्र हुए, हाथों में तख्तियां और दिलों में आक्रोश लेकर। जहाँ अर्बन नक्सलियों ने “हर घर से हिडमा निकलेगा” का नारा लगाया, वहीं राष्ट्रवादी प्रदर्शनकारियों ने जोरदार जवाब दिया— “जिस घर से हिडमा निकलेगा, उस घर में घुसकर मारेंगे!” यह केवल नारे नहीं थे, बल्कि भारत की सहनशीलता और आत्मसम्मान की सीधी प्रतिक्रिया थी।
अर्बन नक्सलियों की साजिशें
यह पहली बार नहीं है जब अर्बन नक्सल विचारधारा ने किसी लोक-हित से जुड़े मुद्दे का सहारा लेकर समाज में विष फैलाने की कोशिश की है। वायु प्रदूषण, किसानों की समस्याएं, महिला सुरक्षा—हर मुद्दे का उपयोग इन तत्वों ने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया है। रविवार का प्रदर्शन भी इसी कड़ी में था। “साइंटिस्ट्स फॉर सोसाइटी” जैसे दिखने में मासूम संगठन या "BSCEM" और “हिमखंड” जैसे छद्म समूह, ये सभी उस अर्बन नक्सली पारिस्थितिकी का हिस्सा हैं जो देश की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को दूषित करने में लगी है।
हिडमा का महिमामंडन
आजकल जिहादी और नक्सली “सोशल एक्टिविस्ट” का मुखौटा लगाकर अपने कृत्यों को अंजाम दे रहे हैं। यह आंदोलन हवा साफ करने का था, लेकिन असली उद्देश्य हिडमा को महिमामंडित करना था। हिडमा, जिसने कई जवानों की हत्या की और सुकमा, दंतेवाड़ा, बस्तर जैसे क्षेत्रों में रक्तरंजित घटनाओं का मुख्य साजिशकर्ता रहा, हाल ही में सुरक्षाबलों द्वारा मुठभेड़ में मारा गया। उसके समर्थन में नारे लगाना केवल कानून के खिलाफ नहीं, बल्कि भारतीय संविधान और सुरक्षा बलों के खिलाफ खड़ा होना है।
नागरिकों का प्रतिरोध
रविवार को लगे नारे केवल एक अपराध नहीं, बल्कि एक विकृत और देशविरोधी मानसिकता का खुला प्रदर्शन थे। यह मानसिकता भारत को भीतर से तोड़ने की कोशिश करती है। यही कारण है कि जब नागरिक मंगलवार को इंडिया गेट पर आए, उनके हाथों में तख्तियां नहीं, बल्कि आक्रोश और प्रतिरोध का संकल्प था— “हम दिल्ली पुलिस के साथ हैं।” यह नारे सरकार के समर्थन के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा और सम्मान के लिए थे।
दिल्ली पुलिस की कार्रवाई
दिल्ली पुलिस ने 22 लोगों को गिरफ्तार कर यह स्पष्ट कर दिया कि कानून इन तत्वों की अराजकता के आगे नहीं झुकेगा। पेपर स्प्रे के साथ पुलिस पर हमले की घटना बताती है कि यह आंदोलन योजनाबद्ध था। यह समय है जब इस संगठित अर्बन नक्सली गठजोड़ को कड़ी सजा मिले ताकि भविष्य में कोई भी देशद्रोही तत्व “प्रदूषण” या किसी भी सामाजिक मुद्दे की आड़ में भारत-विरोधी गतिविधियाँ न कर सके।
भारत का आम नागरिक
इस पूरे प्रकरण ने यह दिखा दिया कि भारत का आम नागरिक अब केवल दर्शक नहीं है। वह हर शहर, हर चौराहे और हर मंच पर राष्ट्र-विरोधी विचारधारा को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। अर्बन नक्सलियों का नारा— “हर घर से हिडमा निकलेगा”, भारत को डराने की कोशिश थी। और राष्ट्रवादी जवाब, “जिस घर से हिडमा निकलेगा, उस घर में घुसकर मारेंगे”, भारत की चेतावनी है।
चेतावनी का संदेश
यह चेतावनी केवल नक्सलियों को नहीं, बल्कि उन छुटभैये नेताओं, तथाकथित “सोशल एक्टिविस्टों”, विदेशी फंडिंग पर पलने वाले संगठनों और विश्वविद्यालयों में बैठे छद्म-वैचारिक गैंगों को भी है। ऐसे लोगों को समझना होगा कि भारत सहनशील है पर निर्बल नहीं। भारत शांतिप्रिय है पर कायर नहीं। भारत लोकतांत्रिक है, पर देशद्रोह की अनुमति देने वाला राष्ट्र नहीं। इंडिया गेट की दो तस्वीरें, जिसमें एक तरफ हिडमा समर्थक और दूसरी तरफ राष्ट्रवादी नागरिक हैं, यह स्पष्ट संदेश देती हैं कि यह लड़ाई अब विचारधारा की नहीं, राष्ट्र की आत्मा की है। इस लड़ाई में जीत हमेशा उसी की होगी जो भारत के साथ खड़ा है।
