दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर स्थिति: एम्स ने स्वास्थ्य आपातकाल की चेतावनी दी

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की गंभीर स्थिति ने स्वास्थ्य आपातकाल की चेतावनी को जन्म दिया है। एम्स के चिकित्सकों का कहना है कि वायु गुणवत्ता सूचकांक 374 पर पहुंच गया है, जिससे सांस की पुरानी समस्याएं बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों ने एन-95 मास्क पहनने और संभव हो तो दिल्ली छोड़ने की सलाह दी है। प्रदूषण के दुष्प्रभावों के बारे में जानें और इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को समझें।
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दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर स्थिति: एम्स ने स्वास्थ्य आपातकाल की चेतावनी दी

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का संकट

एम्स के चिकित्सकों ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की वर्तमान स्थिति को स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करते हुए चेतावनी जारी की है। मंगलवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 374 के स्तर पर पहुंच गया, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है। पल्मोनरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. अनंत मोहन ने बताया कि जिन मरीजों की सांस की पुरानी समस्याएं स्थिर थीं, वे अब बढ़ी हुई समस्याओं के साथ अस्पताल आ रहे हैं। पहले जो खांसी कुछ दिनों में ठीक हो जाती थी, वह अब कई हफ्तों तक बनी रहती है।


प्रदूषण के खिलाफ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता

डॉ. मोहन ने कहा कि जब तक प्रदूषण को स्वास्थ्य आपातकाल नहीं माना जाएगा, तब तक यह समस्या हल नहीं होगी। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से दिल्ली-एनसीआर का AQI 300 से 400 के बीच बना हुआ है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है।


एन 95 मास्क का उपयोग करें

एम्स के पल्मोनरी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सौरभ मित्तल ने सलाह दी कि प्रदूषण से बचने के लिए एन-95 मास्क का उपयोग करना आवश्यक है। इससे व्यक्तिगत सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।


दिल्ली छोड़ने की सलाह

एम्स के पूर्व चिकित्सक गोपी चंद खिलनानी ने हाल ही में सुझाव दिया कि लोग दिसंबर के अंत में कुछ समय के लिए दिल्ली छोड़ दें, ताकि वे सांस की समस्याओं से बच सकें।


प्रदूषण के प्रभाव

  • 01 से 03 दिन

परेशानी: गला, आंख, नाक में जलन, सिरदर्द, थकान, सांस लेने में हल्की तकलीफ।


  • 04 से 07 दिन

परेशानी: तेज खांसी, अस्थमा के मरीजों में तीव्र लक्षण और रक्तचाप बढ़ना।


  • 08 से 15 दिन

परेशानी: सांस फूलना, ब्रोंकाइटिस जैसे लक्षण, बच्चों में फेफड़ों की ग्रोथ प्रभावित होना।


  • 30 दिन या उससे अधिक

परेशानी: दमा स्थायी रूप से बिगड़ सकता है, बच्चों में फेफड़ों की विकास क्षमता 10-20% तक प्रभावित हो सकती है।


दिल्ली में AQI की स्थिति

कहां कितना AQI (सुबह 6 बजे)?


इलाका AQI श्रेणी
दिल्ली (ओवरऑल) 388 बहुत खराब
पंजाबी बाग 420 गंभीर
वजीरपुर 447 गंभीर
आनंद विहार 417 गंभीर
आईटीओ 381 बहुत खराब
बवाना 444 गंभीर
IGI एयरपोर्ट 341 गंभीर
नोएडा 412 गंभीर
ग्रेटर नोएडा 450 गंभीर
गाजियाबाद 436 गंभीर
गुरुग्राम 289 खराब


सांस की बीमारी का बढ़ता खतरा

प्रदूषण सीओपीडी (क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) का मुख्य कारण बन रहा है। देश में हर 100 में से 9 लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं। हाल ही में प्रकाशित शोध पत्रों के अनुसार, यदि प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो आने वाली पीढ़ियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।


महिलाएं अधिक प्रभावित

महिलाएं पुरुषों की तुलना में सीओपीडी से अधिक प्रभावित होती हैं, जिसका मुख्य कारण रसोई में धुएं का प्रभाव है।


प्रदूषण की स्थिति में सुधार की आवश्यकता

डॉक्टरों का कहना है कि यदि प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो आने वाले वर्षों में बच्चों में अस्थमा और सीओपीडी की समस्या बढ़ सकती है।


सीओपीडी के मामलों में कमी की संभावना

हाल ही में प्रकाशित शोध में यह बताया गया है कि अगले 25 वर्षों में भारत में सीओपीडी के मामलों में 2% की कमी आ सकती है, यदि बायोमास ईंधन का उपयोग कम किया जाए और एलपीजी का उपयोग बढ़े।