दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध: उच्चतम न्यायालय का महत्वपूर्ण सवाल

उच्चतम न्यायालय का निर्णय
दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पटाखों पर लागू प्रतिबंध के चयनात्मक कार्यान्वयन पर उच्चतम न्यायालय ने सवाल उठाया है। न्यायालय ने कहा कि यदि स्वच्छ हवा का अधिकार केवल दिल्ली के 'कुलीन' निवासियों को है, तो यह पूरे देश के नागरिकों को भी मिलना चाहिए।
सुनवाई का विवरण
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने एनसीआर में पटाखों के विनियमन से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई की। न्यायाधीश ने कहा, "यदि एनसीआर के शहरों को स्वच्छ हवा का अधिकार है, तो अन्य शहरों के निवासियों को क्यों नहीं?... नीति को अखिल भारतीय स्तर पर लागू किया जाना चाहिए। हम केवल दिल्ली के लिए नीति नहीं बना सकते।"
प्रदूषण की स्थिति
उन्होंने आगे कहा, "मैं पिछली सर्दियों में अमृतसर में था, और वहां का प्रदूषण दिल्ली से भी अधिक गंभीर था। यदि पटाखों पर प्रतिबंध लगाना है, तो यह पूरे देश में लागू होना चाहिए।"
विभिन्न दृष्टिकोण
न्याय मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा, "कुलीन वर्ग अपनी सुरक्षा खुद करता है। प्रदूषण बढ़ने पर वे दिल्ली से बाहर चले जाते हैं।" पीठ ने केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त करने का निर्देश दिया।
हरित पटाखों की संभावना
विधि अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय पर्यावरण आभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) प्रदूषण कम करने के लिए 'हरित पटाखों' की व्यवहार्यता का अध्ययन कर रहा है। पटाखा निर्माताओं के वकील ने नीरी को अनुमेय रासायनिक संरचना निर्धारित करने का सुझाव दिया, जिसे उद्योग पटाखों के डिजाइन में शामिल कर सके।
लाइसेंस रद्द करने की चिंता
हालांकि, कुछ पक्षों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने चिंता व्यक्त की कि अधिकारियों द्वारा मौजूदा लाइसेंस भी रद्द किए जा रहे हैं। पीठ ने कहा कि पटाखों के लाइसेंस रद्द करने के संबंध में स्थिति यथावत रहेगी और मामले की सुनवाई 22 सितंबर को स्थगित कर दी गई।