दिल्ली में क्लाउड सीडिंग: बारिश की कोशिश में बीजेपी को मिली चुनौती
दिल्ली में क्लाउड सीडिंग का प्रयास
दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए बीजेपी सरकार ने मंगलवार को क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश कराने का प्रयास किया.
दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को हल करने के लिए बीजेपी सरकार ने मंगलवार को क्लाउड सीडिंग तकनीक का उपयोग कर कृत्रिम बारिश कराने की कोशिश की। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की यह पहल असफल रही, जिससे आम आदमी पार्टी को सरकार पर हमला करने का एक नया मौका मिला। दिल्ली के आप अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि बारिश में भी फर्जीवाड़ा किया गया है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम बारिश का कोई प्रभाव नहीं दिख रहा है। जानकारों का कहना है कि क्लाउड सीडिंग कोई जादू नहीं है, और इसमें बारिश होने में समय लगता है।
मंगलवार को दोपहर करीब 1:30 बजे, आईआईटी कानपुर के एक सेसना विमान ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के बुराड़ी, मयूर विहार और करोल बाग के ऊपर सिल्वर आयोडाइड का छिड़काव किया। यह प्रयास दोपहर 3:30 से 4:15 बजे के बीच दो बार किया गया।
हालांकि, आईएमडी ने पुष्टि की है कि अगले हफ्ते दिल्ली में बारिश की कोई संभावना नहीं है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि आईआईटी कानपुर की टीम ने कहा कि सीडिंग के बाद बारिश होने में 15 मिनट से लेकर चार घंटे तक का समय लग सकता है, लेकिन बारिश की मात्रा कम होगी क्योंकि बादलों में नमी की कमी है।
‘9 से 10 और परीक्षण की योजना’
23 अक्टूबर की रात को पहले क्लाउड सीडिंग ट्रायल के बाद, यह दिल्ली में क्लाउड सीडिंग का दूसरा दौर था। हालांकि, कम बादलों और नमी के कारण बारिश नहीं हुई। दिल्ली सरकार ने सितंबर में आईआईटी कानपुर के साथ 3 करोड़ रुपये की लागत से पांच ट्रायल के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। अब सिरसा ने घोषणा की है कि दिल्ली सरकार आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर अगले कुछ दिनों में जब भी मौसम अनुकूल होगा, 9-10 और परीक्षण करने की योजना बना रही है।
‘परिणाम में समय लगता है’
क्लाउड सीडिंग एक प्रक्रिया है जिसमें सिल्वर आयोडाइड या कैल्शियम क्लोराइड जैसे पदार्थों को बारिश उत्पन्न करने वाले बादलों में डाला जाता है। इसका उपयोग अन्य देशों में सूखे के दौरान बारिश कराने के लिए किया जाता रहा है। भारत में इससे पहले 2018 और 2019 में महाराष्ट्र के सोलापुर में क्लाउड सीडिंग प्रयोग किए गए थे। इस प्रयोग से जुड़े वैज्ञानिकों ने कहा कि परिणाम मिलने में दो साल लगे और क्लाउड सीडिंग के कारण बारिश में औसतन 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
क्लाउड सीडिंग करना आसान नहीं है। यह मौसम, नमी, बादलों के आकार और उत्पत्ति पर निर्भर करता है। एक वैज्ञानिक ने कहा कि यदि आप क्लाउड सीडिंग में निवेश कर रहे हैं, तो आपको प्रयोगों के जरिए यह साबित करना होगा कि बारिश वास्तव में सीडिंग के कारण हो रही है। यह एक या दो परीक्षणों से नहीं हो सकता।
बारिश के लिए आवश्यक शर्तें
दिल्ली सरकार में मंत्री सिरसा ने कहा कि मंगलवार को परीक्षण के समय बादलों में 15-20 प्रतिशत ह्यूमिडिटी थी, जबकि क्लाउड सीडिंग के लिए कम से कम 50-60 प्रतिशत ह्यूमिडिटी की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, चीन, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात की स्टडी से पता चला है कि क्लाउड सीडिंग अन्य मौसम संबंधी परिस्थितियों जैसे हवा की गति और मौजूदा वर्षा वाले बादलों पर भी निर्भर करती है। यदि ये परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं, तो क्लाउड सीडिंग से PM2.5 का स्तर भी बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि क्लाउड सीडिंग से अचानक बारिश नहीं होती। यह पहले से बारिश देने वाले बादलों को तेज़ी से या जल्दी बारिश करने में मदद करता है। यह कोई जादू नहीं है कि यह किसी भी बादल में बारिश करा दे।
