दिल्ली ब्लास्ट की जांच में नए खुलासे: डॉक्टरों की गुमशुदगी और बम बनाने की साजिश
डॉक्टर मुजम्मिल की गिरफ्तारी और गुमशुदा डॉक्टरों की खोज
दिल्ली में हुए ब्लास्ट के मास्टरमाइंड माने जा रहे डॉक्टर मुजम्मिल को 9 नवंबर को जांच एजेंसियों ने गिरफ्तार किया था। अब एजेंसियां इस साजिश के पीछे की पूरी कहानी को उजागर करने में जुटी हैं और मुजम्मिल के नेटवर्क को पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही हैं। इस बीच, अल फलाह यूनिवर्सिटी के 15 डॉक्टरों के गायब होने की खबर आई है।
ये डॉक्टर मुजम्मिल के संपर्क में थे, और जांच एजेंसियां उनकी कॉल डिटेल्स के आधार पर उन्हें खोजने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन उनके फोन बंद आ रहे हैं। जब जांच टीम अल फलाह यूनिवर्सिटी पहुंची, तो ये डॉक्टर वहां नहीं मिले। इनकी गुमशुदगी कई सवाल खड़े कर रही है, और एजेंसियां इनकी तलाश में देशभर में छापेमारी कर रही हैं।
क्या कार में बम बनाने की योजना थी?
जैसे-जैसे दिल्ली ब्लास्ट की जांच आगे बढ़ रही है, कई नए तथ्य सामने आ रहे हैं। जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या पार्किंग में खड़ी कार में बम को 3 घंटे के भीतर तैयार किया गया था। इस मामले में कई सवाल अभी भी अनसुलझे हैं।
सूत्रों के अनुसार, जिस हाई इंटेंसिटी ब्लास्ट को अंजाम दिया गया, उसमें न तो टाइमर मिला और न ही डेटोनेटर के कोई निशान। लेकिन यह स्पष्ट है कि धमाका बिना डेटोनेटर के नहीं हो सकता।
एजेंसियों की खोज और सबूतों की तलाश
जांच एजेंसियां पिछले 5 दिनों से धमाके की जगह पर डेटोनेटर या इलेक्ट्रिक वायर जैसी चीजें खोज रही हैं। उन्हें संदेह है कि आतंकी उमर ने पार्किंग में खड़ी गाड़ी के अंदर एक ऐसा बम तैयार किया था, जो उच्च तीव्रता का था और अधिकतम नुकसान पहुंचा सकता था।
कुछ नमूने ऐसे मिले हैं जो अमोनियम नाइट्रेट की उपस्थिति की ओर इशारा कर रहे हैं। यदि अमोनियम नाइट्रेट और केमिकल ऑयल को बंद गाड़ी में रखा जाए, तो गर्मी बढ़ने पर वह दबाव सहन नहीं कर सकता। इसलिए, 3 घंटे का समय इस दबाव को बनाने के लिए लिया जा सकता है। लेकिन इसे ब्लास्ट करने के लिए डेटोनेटर होना आवश्यक है। इसलिए, एजेंसियां लाल किले के आसपास सबूत इकट्ठा कर रही हैं ताकि इस धमाके की गुत्थी सुलझाई जा सके।
