दिल्ली पुलिस ने 25 साल से फरार अपराधी को किया गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने 25 साल से फरार अजय लांबा को गिरफ्तार किया है, जो टैक्सी चालकों की हत्या और लूटपाट में शामिल था। लांबा पर कई गंभीर अपराधों का आरोप है, जिसमें शवों को उत्तराखंड के जंगली इलाकों में फेंकने का भी मामला शामिल है। इस गिरफ्तारी ने पुलिस की एक बड़ी सफलता को दर्शाया है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और लांबा के आपराधिक इतिहास के बारे में।
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दिल्ली पुलिस ने 25 साल से फरार अपराधी को किया गिरफ्तार

दिल्ली में 25 साल से फरार अपराधी की गिरफ्तारी

दिल्ली पुलिस ने एक 49 वर्षीय व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जो पिछले 25 वर्षों से कई अपराधों में फरार था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस गिरफ्तारी की जानकारी दी।


अधिकारी के अनुसार, इस व्यक्ति पर आरोप है कि वह टैक्सी किराए पर लेकर उनके चालकों की हत्या कर देता था और शवों को उत्तराखंड के जंगली क्षेत्रों में फेंक देता था। इसके अलावा, वह वाहनों को नेपाल में बेचने का भी काम करता था।


गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की पहचान अजय लांबा उर्फ बंशी के रूप में हुई है, जो दिल्ली और उत्तराखंड में लूटपाट और हत्या के चार मामलों में वांछित था। पुलिस ने बताया कि उसे सभी मामलों में भगोड़ा घोषित किया गया था, जिसमें 2001 में न्यू अशोक नगर थाने में दर्ज हत्या का मामला भी शामिल है।


अधिकारी ने बताया कि लांबा 1999 से 2001 के बीच कई गंभीर अपराधों का मुख्य आरोपी था, जिसमें उसने अपने साथियों के साथ मिलकर टैक्सी चालकों को निशाना बनाया, उनकी हत्या की और पहचान छिपाने के लिए शवों को उत्तराखंड के दूरदराज के इलाकों में फेंक दिया।


पुलिस उपायुक्त (अपराध) आदित्य गौतम ने कहा कि अजय लांबा का जन्म 1976 में हुआ और वह दिल्ली के कृष्णा नगर का निवासी है। उसने छठी कक्षा के बाद स्कूल छोड़ दिया और कम उम्र में ही आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो गया। विकास पुरी पुलिस ने उसे पहले बंशी उपनाम से बदमाश घोषित किया था।


1996 में, उसने अपना नाम बदलकर अजय लांबा रख लिया और उत्तर प्रदेश के बरेली में रहने लगा, जहां उसने अपने साथियों धीरेंद्र और दिलीप नेगी के साथ मिलकर अपराध किए।


पुलिस ने बताया कि लांबा को दिल्ली, हल्द्वानी, अल्मोड़ा और चंपावत में दर्ज लूटपाट और हत्या के चार मामलों में कभी गिरफ्तार नहीं किया गया था। उसे सभी मामलों में भगोड़ा घोषित किया गया था और उस पर 1990 के दशक से चोरी और हथियार रखने जैसे कई आरोप भी लगे थे।


पुलिस उपायुक्त ने बताया कि लांबा ने लगातार अपने ठिकाने और पहचान बदलकर दो दशकों से अधिक समय तक किसी की पकड़ में नहीं आया। उन्होंने बताया कि 2008 से 2018 तक वह अपने परिवार के साथ नेपाल में रहा और बाद में देहरादून चला गया।


पुलिस उपायुक्त ने कहा कि 2020 में वह मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल हो गया और कथित तौर पर ओडिशा से दिल्ली और भारत के अन्य हिस्सों में गांजा सप्लाई करने वाले गिरोह में काम करने लगा।


पुलिस ने बताया कि उसे 2021 में सागरपुर पुलिस द्वारा स्वापक औषधि और मन: प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत एक मामले में गिरफ्तार किया गया था और फिर 2024 में ओडिशा के ब्रह्मपुर में एक आभूषण की दुकान में लूटपाट के सिलसिले में भी पकड़ा गया। पुलिस ने कहा कि वह दोनों मामलों में जमानत पर बाहर था।


पुलिस ने बताया कि एक समन्वित अभियान के तहत दिल्ली से लांबा को गिरफ्तार किया गया है।