दिल्ली पुलिस कांस्टेबल परीक्षा में धांधली का बड़ा खुलासा

दिल्ली पुलिस कांस्टेबल एग्जीक्यूटिव भर्ती परीक्षा में एक बड़े सॉल्वर गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। भागलपुर पुलिस ने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से कई फर्जी दस्तावेज भी बरामद हुए हैं। इस मामले के चलते कर्मचारी चयन आयोग ने संबंधित परीक्षा केंद्र की आगामी परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं। जानें इस गिरोह के काम करने के तरीके और उनकी गिरफ्तारी की पूरी कहानी।
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सरकारी नौकरी की परीक्षाओं में धांधली का मामला

सरकारी नौकरी की परीक्षाओं में धांधली के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में एसएससी दिल्ली पुलिस कांस्टेबल एग्जीक्यूटिव भर्ती परीक्षा में एक बड़े अंतरराज्यीय सॉल्वर गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जो पैसे लेकर ऑनलाइन परीक्षा पास कराने का काम कर रहा था। भागलपुर पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए एक ऑनलाइन परीक्षा केंद्र के संचालक सहित सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस खुलासे के बाद कर्मचारी चयन आयोग (SSC) ने संबंधित परीक्षा केंद्र की आगामी परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं, जिससे हजारों परीक्षार्थियों पर असर पड़ा है.


SSC द्वारा परीक्षाओं का स्थगन

इस मामले के उजागर होने के बाद, कर्मचारी चयन आयोग ने अंग इंस्टीट्यूट में 27 दिसंबर और उसके बाद होने वाली सभी परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं। आयोग ने यह भी बताया कि प्रभावित अभ्यर्थियों को नई परीक्षा की तारीख, समय और केंद्र की जानकारी जल्द ही एसएमएस के माध्यम से दी जाएगी.


गिरफ्तार आरोपियों की जानकारी

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ निवासी करण सिंह, नालंदा के गौतम कुमार और सुमित कुमार, मुंगेर के बंटी कुमार, नीतीश कुमार और अंकित कुमार, और भागलपुर के शिवम कुमार उर्फ भूषण शामिल हैं। पुलिस ने 25 दिसंबर को इन सभी को पकड़ा.


फर्जी दस्तावेजों की बरामदगी

पुलिस ने आरोपियों के पास से कई फर्जी प्रमाण पत्र, अंक पत्र, प्रवेश पत्र, बैंक चेक, एटीएम कार्ड, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, कंप्यूटर सिस्टम, मोबाइल फोन और प्रश्नपत्रों के सेट बरामद किए हैं। बरामद किए गए एक्सिस बैंक के एक चेक पर 10 लाख रुपये की राशि लिखी हुई थी.


फर्जी अपहरण से हुआ खुलासा

इस गिरोह का खुलासा अलीगढ़ निवासी करण सिंह के फर्जी अपहरण की सूचना से हुआ। परिजनों ने पुलिस को बताया कि करण को परीक्षा के दौरान अगवा कर लिया गया है। जांच में पता चला कि यह अपहरण की कहानी झूठी थी और करण खुद इस गिरोह से जुड़ा हुआ था.


कंप्यूटर पर दूर से नियंत्रण

पूछताछ में यह जानकारी मिली कि गिरोह के सदस्य परीक्षा केंद्र से दूर बैठकर अभ्यर्थियों के कंप्यूटर को रिमोट एक्सेस के जरिए नियंत्रित करते थे। वे सवालों के जवाब गूगल और चैटजीपीटी जैसे टूल्स की मदद से हल कर अभ्यर्थियों को भेजते थे। इसके लिए 10 से 15 लाख रुपये तक वसूले जाते थे.


गिरोह का विस्तृत नेटवर्क

पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि इस सॉल्वर गिरोह का नेटवर्क बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब तक फैला हुआ है। पटना, पूर्णिया और भागलपुर के कई ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों से इनकी मिलीभगत थी। पुलिस अब अन्य राज्यों में भी आरोपियों की तलाश कर रही है.


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