दिल्ली धमाके के बाद मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: PTSD और सर्वाइवर ट्रॉमा

दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके ने न केवल कई लोगों को घायल किया, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डाला है। इस लेख में PTSD और सर्वाइवर ट्रॉमा जैसी मानसिक स्थितियों के बारे में जानकारी दी गई है, जो ऐसे हादसों के बाद उत्पन्न हो सकती हैं। जानें कि ये समस्याएं क्या हैं, इनके लक्षण क्या होते हैं, और इससे बचने के उपाय क्या हैं।
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दिल्ली धमाके के बाद मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: PTSD और सर्वाइवर ट्रॉमा

दिल्ली में धमाके का असर

दिल्ली धमाके के बाद मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: PTSD और सर्वाइवर ट्रॉमा

दिल्ली ब्लास्ट
Image Credit source: Getty Images

दिल्ली के लाल किले के निकट हुए विस्फोट ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस अचानक हुए धमाके में कई लोग घायल हुए हैं, जबकि कुछ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। धमाके की तीव्र आवाज़ और दृश्य ने वहां उपस्थित लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाला है। ऐसे हादसों के बाद कई लोग PTSD (Post-Traumatic Stress Disorder) और सर्वाइवर ट्रॉमा जैसी मानसिक समस्याओं का सामना करते हैं। आइए जानते हैं कि ये समस्याएं क्या हैं और इनसे कैसे निपटा जा सकता है।

PTSD एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जो किसी भयावह या दर्दनाक घटना के बाद उत्पन्न होती है। इस स्थिति में व्यक्ति बार-बार उस घटना की यादों में खो जाता है, जिससे उसे डर और चिंता का सामना करना पड़ता है। सामान्य जीवन में लौटना उनके लिए कठिन हो जाता है। यह स्थिति तनाव, बेचैनी और नींद की कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न करती है। वहीं, सर्वाइवर ट्रॉमा तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी बड़े हादसे से बच जाता है, लेकिन उसके मन में यह पछतावा रहता है कि वह बच गया जबकि अन्य नहीं। इससे व्यक्ति लंबे समय तक चिंता और तनाव का सामना करता है। दोनों ही स्थितियां मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं.


PTSD और सर्वाइवर ट्रॉमा के लक्षण

PTSD और सर्वाइवर ट्रॉमा में क्या लक्षण दिखते हैं?

गाज़ियाबाद के MMG अस्पताल के मनोरोग विभाग के डॉ. ए. के. कुमार के अनुसार, PTSD और सर्वाइवर ट्रॉमा से प्रभावित व्यक्ति में लगातार डर, तनाव और असुरक्षा की भावना बनी रहती है। ऐसे लोग उस दर्दनाक घटना को भूल नहीं पाते और बार-बार उसे याद करने लगते हैं। कभी-कभी उन्हें उसी घटना के सपने या फ्लैशबैक आते हैं, जिससे वे घबरा जाते हैं।

छोटी आवाज़ें, गंध या दृश्य भी उन्हें बेचैन कर सकते हैं। नींद न आना, थकान, चिड़चिड़ापन और दूसरों से दूरी बनाना इसके सामान्य लक्षण हैं। कुछ लोग खुद को दोषी मानने लगते हैं और गिल्ट से ग्रसित हो जाते हैं। यदि ये लक्षण कई हफ्तों या महीनों तक बने रहें और व्यक्ति के दैनिक जीवन, काम या नींद को प्रभावित करें, तो यह गंभीर स्थिति मानी जाती है। बिना उपचार के यह डिप्रेशन, पैनिक अटैक या आत्मघाती विचारों का कारण बन सकती है, इसलिए समय पर काउंसलिंग और थेरेपी लेना आवश्यक है.


PTSD और सर्वाइवर ट्रॉमा से बचाव के उपाय

कैसे करें बचाव?

हादसे के बारे में बार-बार बात करने या विचार करने से बचें।

भरोसेमंद व्यक्ति या काउंसलर से अपनी भावनाएं साझा करें।

नियमित रूप से मेडिटेशन और गहरी सांस लेने के व्यायाम करें।

सोशल मीडिया या न्यूज़ पर बार-बार हादसे की खबरें देखने से बचें।

जरूरत पड़ने पर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें.