दिल्ली धमाके की जांच में नया मोड़: अमोनियम नाइट्रेट और टीएटीपी का खुलासा
दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके की जांच में अमोनियम नाइट्रेट और टीएटीपी के उपयोग का खुलासा हुआ है। फॉरेंसिक रिपोर्ट ने इस मामले को एक संभावित आतंकी साजिश की ओर इशारा किया है। जांच एजेंसियां इस धमाके के तार फरीदाबाद-पुलवामा लिंक वाले मॉड्यूल से जोड़कर देख रही हैं। पुलिस ने रसायनों की अनधिकृत बिक्री रोकने के लिए कदम उठाने का निर्णय लिया है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई के बारे में।
| Nov 17, 2025, 00:36 IST
दिल्ली के धमाके की जांच में महत्वपूर्ण जानकारी
दिल्ली के लाल किले के निकट 10 नवंबर को हुए धमाके की जांच अब एक महत्वपूर्ण चरण में पहुँच गई है। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी ने पुष्टि की है कि कार में अमोनियम नाइट्रेट और टीएटीपी (ट्रायएसिटोन ट्राइपेरॉक्साइड) का मिश्रण पाया गया है, जो अत्यधिक शक्तिशाली और कड़े नियंत्रण वाले रसायन माने जाते हैं।
यह ध्यान देने योग्य है कि टीएटीपी का उपयोग कई गंभीर आतंकवादी हमलों में किया गया है, और इसकी थोड़ी मात्रा भी बड़े विस्फोट का कारण बन सकती है।
फॉरेंसिक टीम के अनुसार, कार में 30 से 40 किलो तक अमोनियम नाइट्रेट भरा हुआ था, जो विस्फोट की गंभीरता को दर्शाता है। जांच एजेंसियां इस धमाके को फरीदाबाद-पुलवामा लिंक वाले मॉड्यूल से जोड़कर देख रही हैं, जहां हाल ही में 358 किलो अमोनियम नाइट्रेट और अन्य विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी।
अमोनियम नाइट्रेट का उपयोग खेती में खाद के रूप में किया जाता है, लेकिन इसकी बिक्री केवल पंजीकृत विक्रेताओं के माध्यम से ही संभव है। दिल्ली के तिलक बाजार के लाइसेंसधारी व्यापारी बताते हैं कि ऐसे रसायन राजधानी में खुले बाजार में नहीं मिलते। एक वरिष्ठ व्यापारी संगठन के सदस्य ने कहा कि वैध खरीदारों का दायरा बहुत सीमित होता है, जो मुख्यतः कृषि या अधिकृत औद्योगिक कार्यों से जुड़े होते हैं।
जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपियों ने अमोनियम नाइट्रेट और उर्वरक की खेप दिल्ली से नहीं, बल्कि सोहना, गुरुग्राम और नूंह (हरियाणा) की दुकानों से खरीदी थी। भारत में 2012 से पहले कई बड़े आतंकी हमलों में अमोनियम नाइट्रेट का व्यापक उपयोग हुआ था, और आज भी कई आईईडी इसी के आधार पर बनाए जाते हैं।
इसकी खरीद पर कड़ी निगरानी रखी जाती है; 30 मीट्रिक टन तक की अनुमति जिला मजिस्ट्रेट दे सकते हैं, जबकि इससे अधिक के लिए PESO की मंजूरी आवश्यक होती है। सभी वैध लेन-देन को सरकार के विस्फोटक ट्रैकिंग और ट्रेसिंग प्रणाली (SETT) के तहत ट्रैक किया जाता है, फिर भी अवैध बिक्री और खरीद का खतरा बना रहता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब अमोनियम नाइट्रेट को फ्यूल ऑयल के साथ मिलाया जाता है, तो यह एएनएफओ नामक अत्यधिक शक्तिशाली विस्फोटक में बदल जाता है। इसका उपयोग दुनिया के सबसे भयावह आतंकी हमलों में किया गया है, जैसे 1995 का ओकलाहोमा सिटी बम धमाका। वहीं, टीएटीपी, अपनी अत्यधिक अस्थिरता के बावजूद, कई वैश्विक हमलों में इस्तेमाल हुआ है, जिसमें 2015 में फ्रांस में हुए हमले और ‘शू-बॉम्बर’ मामला भी शामिल है।
इस बीच, दिल्ली पुलिस ने अतिरिक्त सतर्कता बरतने का निर्णय लिया है। सेंट्रल रेंज के संयुक्त पुलिस आयुक्त मधुर वर्मा के अनुसार, पुलिस रसायनों की अनधिकृत बिक्री को रोकने के लिए निवारक कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि तिलक बाजार और पुराने दिल्ली के अन्य रसायन व्यापार क्षेत्रों के लाइसेंसधारी विक्रेताओं और संघों के साथ बैठकें आयोजित की जा रही हैं। इसमें ऐसे रसायनों की पहचान, आपूर्ति श्रृंखला की निगरानी को मजबूत करने और संदिग्ध लेन-देन पर त्वरित अलर्ट प्रणाली विकसित करने पर चर्चा की जाएगी।
पुलिस दस्तावेजी प्रक्रिया, स्टॉक ऑडिट और विक्रेताओं तथा एजेंसियों के बीच समन्वय को भी दुरुस्त करने की योजना बना रही है ताकि भविष्य में किसी भी संभावित दुरुपयोग को शुरुआत में ही रोका जा सके। जांच एजेंसियां इस मामले को बेहद संवेदनशील मानते हुए कई अन्य कोणों से भी पड़ताल कर रही हैं।
कुल मिलाकर, प्रारंभिक फॉरेंसिक रिपोर्ट ने इस धमाके को एक संभावित आतंकी साजिश की ओर इशारा किया है, और सुरक्षा एजेंसियां अब हर उस बारीकी पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं जो इस पूरे नेटवर्क को उजागर करने में मदद कर सकती है।
