दिल्ली कोर्ट ने महिला को यौन और भावनात्मक उत्पीड़न से रोका

मामले की पृष्ठभूमि
दिल्ली की एक अदालत ने एक महिला को एक पुरुष का यौन और भावनात्मक उत्पीड़न करने से रोका है। रोहिणी में एक जिला अदालत ने नैंसी के खिलाफ एक रोकथाम आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि उत्पीड़न किसी भी लिंग के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। अदालत ने आरोपी महिला के यौन उत्पीड़न के सबूत पाए और नैंसी को उस व्यक्ति से मिलने या संपर्क करने से प्रतिबंधित कर दिया।
मामले का विवरण
यह मामला मुकेश तनेजा बनाम नैंसी वर्मा एवं अन्य (CS SCJ 294/25) का है, जिसे रोहिणी में सिविल जज की अदालत में सुना गया। शिकायतकर्ता मुकेश तनेजा ने बताया कि एक आध्यात्मिक आश्रम से जान-पहचान शुरू होकर एक आक्रामक और अवांछित पीछा बन गया। तनेजा, जो विवाहित हैं, ने आरोप लगाया कि नैंसी वर्मा ने उनके प्रति रोमांटिक रुचि व्यक्त की, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। इसके बाद, वर्मा ने कथित तौर पर भावनात्मक ब्लैकमेलिंग का सहारा लिया, जिसमें आत्महत्या की धमकियाँ शामिल थीं।
अदालत के अवलोकन और निर्णय
अदालत ने प्रस्तुत सामग्री, जिसमें चैट के स्क्रीनशॉट और सीसीटीवी फुटेज शामिल थे, पर ध्यान दिया और पाया कि तनेजा ने एक मजबूत प्राथमिक मामला स्थापित किया है। न्यायाधीश ने कहा कि उत्पीड़न से "गंभीर भावनात्मक और प्रतिष्ठात्मक नुकसान" हो रहा है और यह उनके शांतिपूर्ण जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।
इसलिए, अदालत ने नैंसी वर्मा और उनके पति को तनेजा के निवास के 300 मीटर के भीतर आने से रोकने का अंतरिम निषेधाज्ञा जारी किया। उन्हें शिकायतकर्ता या उनके परिवार से फोन, मैसेजिंग ऐप, सोशल मीडिया या तीसरे पक्ष के माध्यम से किसी भी प्रकार का संपर्क करने से भी प्रतिबंधित किया गया।
महत्व और प्रभाव
यह मामला उत्पीड़न के मामलों में अक्सर देखे जाने वाले लिंग गतिशीलता को पलटने के लिए ध्यान आकर्षित कर रहा है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह महत्वपूर्ण है कि यह पुष्टि करता है कि पुरुष भी जबरदस्ती और भावनात्मक शोषण के शिकार हो सकते हैं। यह निर्णय यह दर्शाता है कि कानून सभी के लिए सुरक्षा प्रदान करता है।