दिल्ली कोर्ट ने बाल यौन शोषण मामले में आरोपी को दोषी ठहराया

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बाल यौन शोषण से जुड़े एक मामले में आरोपी अनुराग शर्मा को दोषी ठहराया है। कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 67 बी के तहत यह निर्णय लिया। मामले की अगली सुनवाई सजा की अवधि तय करने के लिए होगी। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और कोर्ट के फैसले के पीछे की कहानी।
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दिल्ली कोर्ट ने बाल यौन शोषण मामले में आरोपी को दोषी ठहराया

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट का निर्णय

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बाल यौन शोषण से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाया है। कोर्ट के अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने आरोपी अनुराग शर्मा को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 67 बी के तहत दोषी पाया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई सजा की अवधि तय करने के लिए होगी। यह मामला 2016 का है, जब सीबीआई को एक शिकायत प्राप्त हुई थी.


सीबीआई की जांच और सबूत

सीबीआई को एक शिकायत मिली थी जिसमें बताया गया कि अनुराग शर्मा ने इंटरनेट से बाल यौन शोषण सामग्री को एक्सेस किया और उसे अपने लैपटॉप में डाउनलोड किया। इस शिकायत के आधार पर, सीबीआई ने 27 अक्टूबर 2016 को मामला दर्ज कर जांच शुरू की।


कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला


सीबीआई ने आरोपी के घर पर छापेमारी की, जहां उसके लैपटॉप से कई आपत्तिजनक वीडियो और फाइलें मिलीं, जिनमें बच्चों के साथ यौन शोषण से संबंधित सामग्री शामिल थी। इन डिजिटल सबूतों को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया, जिसने पुष्टि की कि सामग्री चाइल्ड एब्यूज से संबंधित थी। तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर, सीबीआई ने अदालत में चार्जशीट दाखिल की और ट्रायल शुरू हुआ। राउज एवेन्यू कोर्ट ने सुनवाई के बाद अनुराग शर्मा को दोषी ठहराया।


कानूनी प्रावधान

कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि डिजिटल सबूतों और जांच रिपोर्ट के आधार पर यह स्पष्ट हो गया है कि अनुराग ने जानबूझकर आपत्तिजनक सामग्री डाउनलोड की, जो कानून के अनुसार गंभीर अपराध है। कोर्ट ने यह भी बताया कि ऐसे अपराध बच्चों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करते हैं।


कोर्ट ने सजा पर बहस के लिए एक तारीख तय की है, जब यह तय किया जाएगा कि आरोपी को कितने वर्षों की सजा दी जाएगी। आईटी एक्ट 2000 की धारा 67 बी के तहत बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री का प्रकाशन, प्रचार-प्रसार, डाउनलोड या देखना एक गंभीर अपराध माना जाता है। यदि कोई व्यक्ति पहली बार इस अपराध में दोषी पाया जाता है, तो उसे 5 साल तक की सजा और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है, जबकि पुनरावृत्ति की स्थिति में सजा 7 साल तक बढ़ सकती है।