दिल्ली कोर्ट ने पत्रकारों के खिलाफ गैग ऑर्डर को किया रद्द
दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने अडानी इंटरप्राइजेज के खिलाफ पत्रकारों पर लगाए गए गैग ऑर्डर को रद्द कर दिया है। यह निर्णय पत्रकारों की अपील पर आया, जिसमें कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की। जज ने कहा कि दूसरे पक्ष को सुनवाई का अवसर नहीं देने के कारण यह आदेश टिक नहीं सकता। कोर्ट ने जॉन ड्यो आर्डर का उल्लेख करते हुए अज्ञात व्यक्तियों को भी मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने से रोका। इस फैसले के बाद केंद्रीय सूचना मंत्रालय ने कई मीडिया संस्थानों को नोटिस भेजा।
Sep 20, 2025, 16:07 IST
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कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने पत्रकारों पर लगाए गए गैग ऑर्डर को रद्द कर दिया है, जो अडानी इंटरप्राइजेज के लिए जारी किया गया था। इस आदेश के तहत पत्रकारों को अडानी समूह के खिलाफ मानहानिकारक लेख और वीडियो प्रकाशित करने से रोका गया था। यह निर्णय पत्रकार रवि नायक, अबीर दास गुप्ता, आसकांत दास और राजेश जोशी की अपील पर सुनवाई के बाद आया। सुनवाई का कार्यभार रोहिणी कोर्ट के जिला जज आशीष अग्रवाल ने संभाला।
कोर्ट की टिप्पणियाँ
कोर्ट ने क्या कहा
जज ने कहा कि सेशन कोर्ट को कॉटेट की समीक्षा करनी चाहिए थी। याचिकाकर्ता ने 2024-2025 में प्रकाशित लेखों और पोस्ट्स पर सवाल उठाए थे, लेकिन कोर्ट ने दूसरे पक्ष को सुनवाई का अवसर नहीं दिया। जज ने यह भी कहा कि ऐसा न होने के कारण यह आदेश टिक नहीं सकता। यह आदेश केवल उन अपीलकर्ताओं के लिए लागू होगा जो अदालत के सामने पेश हुए थे। मामला रोहिणी कोर्ट के 6 सितंबर के आदेश से शुरू हुआ, जब सीनियर सिविल जज अनुज कुमार ने एक्स पार्टी यानी एकतरफा आदेश जारी किया था। यह आदेश तब दिया जाता है जब तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता होती है ताकि गंभीर नुकसान से बचा जा सके।
आदेश में शामिल नाम
कोर्ट ने किनके नाम लिए थे
परंजॉय गुहा ठाकुरता
रवि नायर
आबिर दासगुप्ता
आयस्कांत दास
आयुष जोशी
अशोक कुमार
ड्रीमस्केप नेटवर्क इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड
गेटअप लिमिटेड
डोमेन डायरेक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड ट्रेडिंग ऐज इंस्टरा
जॉन ड्यो आर्डर का महत्व
जॉन ड्यो आर्डर
कोर्ट का आदेश जॉन ड्यो आर्डर के समान है, जिसका अर्थ है कि कोर्ट ने न केवल 9 व्यक्तियों और संगठनों, बल्कि अज्ञात व्यक्तियों को भी अडानी ग्रुप के खिलाफ बिना सबूत के मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने से रोका। इस आदेश के माध्यम से अडानी को यह शक्ति मिली कि वे नए लिंक भेजकर और सामग्री हटवा सकें। कोर्ट ने कहा कि गलत और बिना सबूत वाली सामग्री को 5 दिनों के भीतर हटाना होगा। इस आदेश के बाद केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने दो मीडिया संस्थानों और कई यूट्यूब चैनलों को नोटिस भेजकर अडानी समूह का उल्लेख करने वाले 138 वीडियो और 83 इंस्टाग्राम पोस्ट हटाने का निर्देश दिया। पत्रकारों ने इसके बाद विभिन्न अपीलें दायर कीं, जिनमें से एक पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता की ओर से थी।