दिल्ली के पूर्व पुलिस अधिकारियों पर 20 साल पुराने मामले में आरोप

दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त नीरज कुमार और सहायक पुलिस आयुक्त विनोद पांडे पर 20 साल पुराने मामले में गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले में दस्तावेजों में छेड़छाड़ और आपराधिक धमकी के आरोप शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद, दिल्ली अपराध शाखा ने इन अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे के तथ्यों के बारे में।
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दिल्ली के पूर्व पुलिस अधिकारियों पर 20 साल पुराने मामले में आरोप

दिल्ली पुलिस के पूर्व अधिकारियों पर मामला दर्ज

दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त नीरज कुमार और पूर्व सहायक पुलिस आयुक्त विनोद पांडे के खिलाफ 20 साल पुरानी एक घटना में मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में दस्तावेजों में छेड़छाड़ और आपराधिक धमकी के आरोप शामिल हैं। यह मामला 2001 से संबंधित है, जब कुमार सीबीआई में संयुक्त निदेशक और पांडे निरीक्षक के रूप में कार्यरत थे। आरोप है कि जांच के दौरान दस्तावेजों में हेराफेरी की गई थी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 सितंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखने के बाद सामने आया, जिसमें पूर्व अधिकारियों के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था।


सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय उन चार अपीलों को खारिज करने के बाद आया, जो आरोपियों ने दायर की थीं। इन अपीलों में 2006 के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों को चुनौती दी गई थी, जिसमें प्राथमिकी दर्ज करने और आपराधिक अवमानना की कार्रवाई का निर्देश दिया गया था। न्यायालय ने कहा कि गंभीर आरोपों की जांच में दो दशकों से अधिक का समय लगना न्याय का उपहास है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, दिल्ली अपराध शाखा ने नीरज कुमार और पांडे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। इन आरोपों में व्यवसायी विजय कुमार अग्रवाल और उनके सहयोगियों पर सीबीआई जांच के दौरान सबूतों से छेड़छाड़, पद का दुरुपयोग और धमकाने का आरोप शामिल है।


विजय अग्रवाल के एकाउंटेंट का आरोप

विजय अग्रवाल के एकाउंटेंट, शीश राम सैनी ने आरोप लगाया है कि 1999-2000 में उनके नारायणा कार्यालय पर छापेमारी के दौरान, पांडे और अन्य अधिकारियों ने बिना किसी कानूनी दस्तावेज के कंपनी के रिकॉर्ड को जब्त कर लिया। उनका कहना है कि बाद में अधिकारियों ने जब्ती ज्ञापनों में हेराफेरी की, तारीखें बदल दीं और सरकारी रिकॉर्ड में छेड़छाड़ की, जिससे सैनी को दबाव में आकर फर्जी कागज़ों पर हस्ताक्षर करने पड़े। आईपीसी की धारा 166, 218, 463, 465, 469 और 120बी के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें सरकारी पद का दुरुपयोग, रिकॉर्ड में हेराफेरी, जालसाजी और आपराधिक षडयंत्र शामिल हैं।