दिल्ली के ऑटो ड्राइवर की अनोखी कमाई का रहस्य

दिल्ली में अनोखी कमाई का तरीका
नई दिल्ली। दिल्ली में एक ऑटो चालक ने ऐसी कमाई का तरीका खोज निकाला है, जो सुनकर MBA धारक भी चौंक जाएंगे। न तो कोई ऐप, न कोई उच्च डिग्री, और न ही कोई ऑफिस, फिर भी उसकी मासिक आय 5 से 8 लाख रुपये है।
यह सब बिना ऑटो चलाए संभव हुआ है।
यह कहानी अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के बाहर खड़े एक ऑटो ड्राइवर की है। जहां हर दिन हजारों लोग वीज़ा इंटरव्यू के लिए आते हैं, लेकिन दूतावास में बैग ले जाना मना है और वहां लॉकर की सुविधा भी नहीं है। ऐसे में लोग बैग को लेकर परेशान हो जाते हैं।
इस समस्या का समाधान इस ऑटो ड्राइवर ने निकाला है। जब वह किसी को परेशान देखता है, तो वह सरलता से कहता है, 'सर, बैग दे दो। मैं सुरक्षित रखूंगा। यह मेरा रोज़ का काम है। चार्ज 1,000 रुपये है।'
यह कहानी लेंसकार्ट के प्रोडक्ट लीडर राहुल रुपानी ने LinkedIn पर साझा की है। उन्होंने बताया कि एक दिन जब वह अपने वीज़ा इंटरव्यू के लिए पहुंचे, तो सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें बताया कि बैग अंदर नहीं ले जा सकते। तब यह ऑटो ड्राइवर उनकी मदद के लिए आया।
यह ड्राइवर रोज़ाना अमेरिकी दूतावास के पास खड़ा होता है और 20-30 लोगों के बैग को 1,000 रुपये लेकर सुरक्षित रखता है। इसका मतलब है कि उसकी रोज़ाना कमाई ₹20,000 से ₹30,000 है, जो महीने में ₹5 से ₹8 लाख बन जाती है।
अब सवाल यह है कि वह इतने बैग को ऑटो में कैसे रखता है? इसके लिए उसने एक स्थानीय पुलिसकर्मी के साथ साझेदारी की है, जिसके पास एक सुरक्षित लॉकर स्पेस है। बैग वहीं रखे जाते हैं, जबकि ऑटो बस ग्राहकों को आकर्षित करने का साधन है।
राहुल रुपानी ने इस काम को 'सड़क से सीखी गई असली MBA' कहा है। न तो फंडिंग, न ऐप, और न ही किसी स्टार्टअप का शोर। केवल एक वास्तविक आवश्यकता को समझकर, भरोसा बनाकर और प्रीमियम चार्ज लेकर उसने एक सफल मॉडल स्थापित किया है।
यह कहानी यह दर्शाती है कि असली उद्यमिता केवल बड़े शब्दों और निवेशकों पर निर्भर नहीं करती। यदि आप किसी की वास्तविक समस्या का समाधान कर सकते हैं, तो बिना डिग्री, बिना ऑफिस और बिना तकनीक के भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।