दिल्ली के उपराज्यपाल ने आपातकाल की 50वीं बरसी पर की तीखी टिप्पणी

आपातकाल की क्रूरता पर उपराज्यपाल का बयान
दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने बुधवार को कहा कि देश में लागू किया गया आपातकाल सल्तनत, मुगलों और ब्रिटिश शासन की क्रूरता के समान था। उन्होंने त्यागराज स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही, जो आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया था।
सक्सेना ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के 'लोकतंत्र बचाओ' आह्वान का उल्लेख करते हुए कहा, "हमें सबसे पहले संविधान में निहित भारत की आत्मा और संस्कृति को समझना होगा। यदि हम इसे समझ लेते हैं, तो संविधान की प्रति लहराने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।"
उपराज्यपाल ने यह भी कहा कि आपातकाल के दौरान न केवल लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों को बुरी तरह से कुचला गया, बल्कि संविधान का भी अपमान किया गया।
उन्होंने कहा, "अगले दो वर्षों में देश ने एक निरंकुश सरकार का क्रूर चेहरा देखा, जो सल्तनत, मुगलों और ब्रिटिश काल के शासकों की क्रूरता के समान था।"
सक्सेना ने यह भी बताया कि यदि सत्ता में बैठे लोगों ने लोकतंत्र की रक्षा की शपथ का पालन किया होता, तो आपातकाल की स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित 'संविधान हत्या दिवस' कार्यक्रम में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि संविधान की प्रति लेकर चलने वालों को याद रखना चाहिए कि 25 जून 1975 को लोकतंत्र की हत्या की गई थी।
गुप्ता ने कहा, "पूरे भारत को जेल में बदल दिया गया और लोगों के अधिकारों को समाप्त कर दिया गया, साथ ही मीडिया को भी चुप करा दिया गया था।" उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री ने अपनी सत्ता को बचाने के लिए पूरे देश को दांव पर लगा दिया था।
उन्होंने सभी से यह सुनिश्चित करने की शपथ लेने का आग्रह किया कि भविष्य में संविधान को कोई खतरा न हो और देश में लोकतंत्र के लिए कोई काला दिन न आए।