दिल्ली की अदालत ने बीएमडब्ल्यू दुर्घटना मामले में आरोपी को दी ज़मानत
दिल्ली की एक अदालत ने बीएमडब्ल्यू दुर्घटना मामले में आरोपी महिला गगनप्रीत को ज़मानत दे दी है। अदालत ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज ने प्रारंभिक आकलन को बदल दिया है, जिससे गैर इरादतन हत्या का आरोप कमजोर हो गया है। अदालत ने एम्बुलेंस कर्मचारियों के व्यवहार की भी आलोचना की, यह कहते हुए कि उन्होंने पीड़ित को समय पर चिकित्सा सहायता नहीं दी। इस मामले में आगे की जांच और मुकदमा जारी रहेगा।
Sep 30, 2025, 13:42 IST
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दिल्ली की अदालत का निर्णय
दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में बीएमडब्ल्यू दुर्घटना के मामले में आरोपी महिला गगनप्रीत को ज़मानत प्रदान की है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के बयानों में स्पष्ट विरोधाभास पाया गया है। इसके अलावा, अदालत ने यह भी बताया कि दुर्घटना के सीसीटीवी फुटेज ने प्रारंभिक आकलन को बदल दिया है, जिससे गैर इरादतन हत्या का आरोप कमजोर हो गया है। यह संकेत मिलता है कि यह मामला तेज़ और लापरवाही से गाड़ी चलाने का हो सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि एफआईआर में यह दावा कि बीएमडब्ल्यू ने मोटरसाइकिल को पीछे से टक्कर मारी थी, सबूतों से समर्थित नहीं है। सीसीटीवी फुटेज में कार का नियंत्रण खोना, डिवाइडर से टकराना, पलटना और इस प्रक्रिया में एक मोटरसाइकिल और बस से टकराना दर्शाया गया है।
अदालत की टिप्पणियाँ
अदालत ने कहा कि फुटेज जानबूझकर तेज़ गति से मोटरसाइकिल से टक्कर मारने के दावे का समर्थन नहीं करता। इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि यह दृश्य गैर इरादतन हत्या (संभावित परिणामों की जानकारी के साथ मौत का कारण बनना) से अधिक लापरवाही और लापरवाही से गाड़ी चलाने जैसा प्रतीत होता है। अदालत ने यह भी बताया कि दुर्घटनास्थल पर स्पीड कैमरों की निगरानी होने के बावजूद, अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि कार कितनी तेज़ चल रही थी। अदालत ने दुर्घटनास्थल के पास मौजूद एम्बुलेंस कर्मचारियों के व्यवहार की कड़ी आलोचना की। हालाँकि वे कुछ ही सेकंड में पहुँच गए, लेकिन सीसीटीवी कैमरे से पता चला कि ड्राइवर और पैरामेडिक ने न तो पीड़ित की नब्ज देखी और न ही कोई प्राथमिक उपचार दिया। इसके बजाय, वे 40 सेकंड के भीतर ही घटनास्थल से चले गए।
अदालत की आलोचना
अदालत ने उनके व्यवहार को अत्यधिक गैर-पेशेवर और अनैतिक बताते हुए कहा कि इससे अभियोजन पक्ष का स्वर्णिम समय सिद्धांत कमजोर हो गया है, जिसमें कहा गया था कि पीड़ित की मृत्यु इसलिए हुई क्योंकि उसे समय पर चिकित्सा सहायता नहीं मिली। अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट, जो मौत के सही समय और कारण की पुष्टि कर सकती है, अभी तक दाखिल नहीं की गई है। अदालत ने कहा कि यह जांच का विषय है कि क्या आरोपी वास्तव में पीड़िता की मदद करने की कोशिश कर रही थी या केवल अपने पक्ष में सबूत गढ़ रही थी।