दिल्ली की DSEU में बीटेक कोर्सों में भारी कमी, 642 सीटें खाली

दिल्ली स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी (DSEU) को 2025 में दाखिलों में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। बीटेक और पीजी कोर्सों में भारी संख्या में सीटें खाली रह गई हैं, जबकि डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में छात्रों की संख्या अच्छी रही है। विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर ने बताया कि बीटेक कोर्स मुख्य रूप से डिप्लोमा छात्रों के लिए हैं। इसके अलावा, फैकल्टी और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी भी एक बड़ी समस्या है। हाल ही में, दिल्ली सरकार ने मर्जर के प्रभावों की समीक्षा के लिए एक पैनल का गठन किया है।
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दिल्ली की DSEU में बीटेक कोर्सों में भारी कमी, 642 सीटें खाली

दिल्ली स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी की चुनौतियाँ

दिल्ली की DSEU में बीटेक कोर्सों में भारी कमी, 642 सीटें खाली

JEE Mains 2026Image Credit source: Freepik


दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी दिल्ली स्किल एंड एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी (DSEU) को 2025 में दाखिलों में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट कोर्सों में छात्रों की रुचि अपेक्षाकृत कम रही है। बीटेक और पीजी जैसे महत्वपूर्ण पाठ्यक्रमों में बड़ी संख्या में सीटें खाली रह गई हैं, जिससे विश्वविद्यालय की योजनाओं पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में छात्रों की अच्छी संख्या ने कुछ राहत प्रदान की है।


कम दाखिलों की चिंता


इस वर्ष DSEU में यूजी और पीजी पाठ्यक्रमों में दाखिलों की संख्या उम्मीद से काफी कम रही। बीटेक के 840 सीटों में से 642 सीटें खाली रह गईं, जबकि पीजी पाठ्यक्रमों की 260 सीटों में से 161 पर कोई छात्र नहीं आया। यूजी स्तर पर 45 पाठ्यक्रमों की 2850 सीटों में से 1228 सीटें भी भरी नहीं जा सकीं। इसे दिल्ली सरकार के लिए गंभीर संकेत माना जा रहा है। दूसरी ओर, डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में 2850 सीटों में से 2645 सीटें भरी गईं, और कुछ पाठ्यक्रमों में सीटों से अधिक दाखिले भी हुए।


DSEU के वाइस चांसलर प्रोफेसर अशोक नगावत का कहना है कि बीटेक पाठ्यक्रम मुख्य रूप से डिप्लोमा छात्रों के लिए हैं, जिन्हें लैटरल एंट्री दी जाती है। इसलिए, बीटेक की खाली सीटों को वह बड़ी समस्या नहीं मानते। उनका कहना है कि कुछ पाठ्यक्रमों में कम छात्र हैं, लेकिन उद्योग की मांग को देखते हुए ये पाठ्यक्रम जारी रहेंगे।


फैकल्टी और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी


यूनिवर्सिटी में फैकल्टी और प्रयोगशाला के बुनियादी ढांचे की कमी भी एक बड़ी चुनौती है। 17,000 छात्रों के लिए लगभग 1,000 शिक्षकों की आवश्यकता है, जबकि वर्तमान में केवल 400 स्थायी फैकल्टी हैं। इस कमी को गेस्ट फैकल्टी के माध्यम से पूरा किया जा रहा है। वाइस चांसलर का कहना है कि नई फैकल्टी की भर्ती, पाठ्यक्रम डिजाइन, ऑन-जॉब ट्रेनिंग और प्लेसमेंट के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।


हाल ही में, दिल्ली सरकार ने पॉलिटेक्निक के DSEU में मर्जर के प्रभाव और गवर्नेंस से संबंधित समस्याओं की समीक्षा के लिए एक पैनल का गठन किया है। पॉलिटेक्निक फैकल्टी का आरोप है कि मर्जर से गुणवत्ता में कमी आई है और फीस बढ़ी है। इसके अलावा, AICTE से मंजूरी न लेने और JAC काउंसलिंग से हटने को भी कम दाखिलों का कारण माना जा रहा है। हालांकि, विश्वविद्यालय प्रशासन इन निर्णयों को नई शिक्षा नीति और अपनी अलग पहचान से जोड़कर देख रहा है।